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गतिज ऊर्जा की परिभाषा :- जब कोई कण या पिंड गति करता है तो कोई भी वेग गति कोणीय वेग या रेखीय वेग हो सकता है इसी गति के कारण पिंड में ऊर्जा उत्पान रहती हैं और पिंड में उसकी गति के कारण उत्पान ऊर्जा को गतिज ऊर्जा कहते है ।
अथवा
जब कोई पिंड विराम अवस्था में रहता है तब इसे गति करवाने के लिए बाह्य बल से कार्य करना पड़ता है गति करवाने के लिए पिंड पर किया गया कार्य ऊर्जा के रूप में निहित हो जाता है उसे गतिज ऊर्जा कहा जाता है ।
भारत में तेल शोधक संयंत्र
अथवा
किसी पिंड की गति ऊर्जा का मान पिंड की गति और द्रव्यमान पर निर्भर करता है पिंड की गति स्थानांतरिय गति या घूर्णन गति या कम्पन गति में से कोई भी गति हो सकती है प्रत्येक गति के कारण वस्तु में एक ऊर्जा उत्पान होती है उन्हें गतिज ऊर्जा कहा जाता है।