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भारत में तेल शोधक संयंत्र
भारत में तेल शोधक संयंत्र :- भारत में तेल शोधक संयंत्र भारत में कच्चा पेट्रोलियम जमीन के अंदर से निकाला जाता है कच्चा पेट्रोलियम को सीधा काम में नहीं लिया जाता है पेट्रोलियम का परिष्करण एक जटिल प्रक्रिया है जो प्राकृतिक अशुध्दियों से परिष्करण करना पड़ता है पेट्रोल की प्रक्रिया एक जटिल रासायनिक प्रक्रिया है जो वर्तमान में लगभग 17 तेल संयंत्र भारत में स्थापित है जो सर्वाधिक क्षेत्र के अंतर्गत आते हैं और एक तेलशोधक संयंत्र रिलायंस इंडस्ट्री द्वारा निजी क्षेत्र में संचालित है जो सार्वजनिक क्षेत्र के तेल शोधक संयंत्र डिगबोई बोगाईगाव तथा नूनमाटी मुंबई में दो इकाइयां महाराष्ट्र विशाखापट्टनम आंध्र प्रदेश बरौनी बिहार कोयली गुजरात मथुरा उत्तर प्रदेश पानीपत हरियाणा कोचीन केरल मेगलोर कर्नाटक एवं चेन्नई तमिलनाडु में है जामनगर गुजरात में रिलायंस एस्ट्रेंज निजी क्षेत्र में संचालित एकमात्र तेल शोधक संयंत्र है |
भारत में शोधक संयंत्रों को कच्चे तेल की आपूर्ति को जहाजों एवं पाइप लाइनों के द्वारा की जाती है यद्यपि पेट्रोल उत्पादन की वार्षिक दर बढ़ती नजर आती है लेकिन भारत को अपनी आवश्यकताओं की आपूर्ति करने के लिए पेट्रोलियम उत्पादन को बाहर से आयात करना पड़ता है वर्तमान में भारत में 17 तेलशोधक संयंत्र को सार्वजनिक क्षेत्र के अंतर्गत तथा एक संयंत्र निजी क्षेत्र में है यद्यपि वार्षिक उत्पादन की गति बढ़ती नजर आ रही हैं तो आंतरिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए भारत को पेट्रोल का आयात करना पड़ सकता है
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भारत में तेल शोधक कारखाने की शुरू किसने की :- भारत-ओमान तेल शोधक कारखाने में उत्पादन शुरू हो गया है। प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहनसिंह द्वारा इसी माह इसका विधिवत उद्घाटन किए जाने की संभावना है, बीना में भारत-ओमान तेल रिफायनरी परियोजना को मंजूरी एक जनवरी 2006 को मिली थी व इसमें उत्पादन शुरू होने की समय सीमा दिसंबर 2009 तय की गई थी, लेकिन काम में कई तरह की रुकावटें आने की आने की वजह से रिफायनरी की शुरुआत में एक साल ज्यादा की देरी हो गई। 11,397 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत वाली इस रिफायनरी की क्षमता हर साल 6 मिलियन टन तेल शोधन की है।
बीना रिफायनरी स्थित सूत्रों के मुताबिक इसके पहले रिफायनरी में उत्पादन की औपचारिक शुरुआत की तारीख 19 नवंबर 2010 तय की गई थी। जिसके उद्घाटन के सिलसिले में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गाँधी, तेल एवं प्राकृतिक गैस मंत्री मुरली देवड़ा की ओर से मंजूरी भी मिल चुकी थी, लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की भारत यात्रा की वजह से उद्घाटन की तारीख टल गई।
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