वत्सराज किस वंश का शासक था

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राजस्थान में प्रतिहार वंश की उत्पत्ति :- राजपूतों की उत्पत्ति का सर्वमान्य सिद्धान्त चन्दबरदाई ने अपने ग्रंथ पृथ्वीराज रासौ के माध्यम से दिया था। पृथ्वीराज रासौ के अनुसार सिरोही के मांउण्ट आबू में वशिष्ट मुनि ने अग्नि यज्ञ किया था। इस यज्ञ से चार वीर पुरूष उत्पन्न हुए थे। प्रतिहार, परमार, चालूक्य (सोलंकी), चैहान (चह्मान)। इन चार वीर पुरूषों की उत्पति राक्षसों का सहांर करने के लिए हुई थी। यहाँ राक्षस विदेशी आक्रमणों को कहा गया है। विदेशी आक्रमणों में प्रमुख अरबी आक्रमण को कहा गया हैं। प्रतिहारों ने राजस्थान में प्रमुखतः भीनमाल (जालौर) पर शासन किया। प्रतिहारों ने 7वीं शताब्दी से लेकर 11वीं शताब्दी के बीच अरबी आक्रमणों का सफलतम मुकाबला किया।

राजस्थान में गुर्जर प्रतिहार वंश का इतिहास :- गुर्जर प्रतिहारों की कुल देवी चामुण्डा माता (जोधपुर) थी, प्रतिहारों की उत्पति के बारे में अलग-अलग विद्वानों के अलग-अलग मत हैं। आर. सी. मजूमदार के अनुसार प्रतिहार लक्ष्मण जी के वंशज थें। मि. जेक्सन ने प्रतिहारों को विदेशी माना, गौरी शंकर हीराचन्द औझा प्रतिहारों को क्षत्रिय मानते हैं। भगवान लाल इन्द्र जी ने गुर्जर प्रतिहारों को गुजरात से आने वाले गुर्जर बताये। डॉ. कनिंघगम ने प्रतिहारों को कुषाणों के वंशज बताया। स्मिथ स्टैन फोनो ने प्रतिहारों को कुषाणों को वंशज बताया। मुहणौत नैणसी ने गुर्जर प्रतिहारों को 26 शाखाओं में वर्णित किया। सबसे प्राचीन शाखा मण्डोर की मानी जाती है। राजस्थान के इतिहास के कर्नल जेम्स टॉड ने इनको विदेशी- शक, कुषाण, हूण व सिथीयन के मिश्रण की पाँचवीं सन्तान बताया था। प्रतिहारों ने मण्डोर, भीनमाल, उज्जैन तथा कनौज को अपनी शक्ति का प्रमुख केन्द्र बनाकर शासन किया था।

गुर्जर प्रतिहार वंश का प्रमुख शासक नागभट्ट प्रथम

वत्सराज किस वंश का शासक था (783-795 ई.) :- वत्सराज के समकालीन कन्नौज का अयोग्य शासक इन्द्रायुद्ध ही था, कन्नौज गंगा व यमुना के दोआब के बीच स्थित है। दो नदियों के बीच का क्षेत्र दोआब कहलाता हैं, तथा यह क्षेत्र अतिउपजाऊ होता हैं, वत्सराज ने कन्नौज के अयोग्य शासक इन्द्रायुद्ध को देखकर उस पर आक्रमण किया तथा इन्द्रायुद्ध को हराया भी था। लेकिन यह बात बंगाल में पाल वंश शासक धर्मपाल को पसंन्द नहीं आई इसलिए धर्मपाल ने वत्सराज पर आक्रमण किया। धर्मपाल आया तो था जीतने पर स्वयं मुंगेर के युद्ध में हार गया, दक्षिणी भारत में राष्ट्रकूट वंश के शासक ध्रुव प्रथम को इस बात का पता था कि कन्नौज को लेकर प्रतिहार व पाल वंषों के मध्य मुकाबला हो रहा है। इसलिए राष्ट्रकूट वंश के शासक ध्रुव प्रथम ने प्रतिहार वंश के शासक वत्सराज पर आक्रमण किया तथा उसको हराया था, यहाँ पर कन्नौज को लेकर तीन वंशों (प्रतिहार, पाल, राष्ट्रकूट) के मध्य मुकाबले हुए थे इसलिए इसको त्रिपक्षीय संघर्ष के नाम से जाना जाता है, वत्सराज ने भीनमाल में राजसूय यज्ञ किया था। वत्सराज वैष्णव धर्म को संरक्षण देता था, इसलिए जयवराह भी कहा जाता था। वत्सराज ने माण्डी वंश को हराया था। इसलिए उसको रणहस्तिन भी कहा गया है, वत्सराज के दरबार में उद्योतन सूरी (ग्रंथ- कुवलयमाला,778 ई.) व जिनसेन सूरी (ग्रंथ-हरिवंश पुराण) रहते थे। वत्सराज ने जोधपुर के ओसिया में महावीर स्वामी के मंदिर का निर्माण करवाया जो पश्चिमी भारत का सबसे प्राचीन जैन मंदिर है।

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