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तापीय ऊर्जा क्या है
तापीय ऊर्जा संयंत्र भारत में विद्युत के सबसे बड़े ऊर्जा स्रोत में से एक हैं। तापीय ऊर्जा संयंत्र में, जीवाश्म ईंधन जैसे (कोयला, ईंधन तेल एवं प्राकृतिक गैस) में स्थित रासायनिक ऊर्जा को क्रमशः तापीय ऊर्जा, यांत्रिक ऊर्जा एवं अंततः विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित किया जाता है।
भारत में ऊर्जा विकास की शुरुआत कहीं चरणों में हुई है तापीय ऊर्जा स्टेशन छोटे नेटवर्क कनेक्शन के साथ शुरू किया गया था उसके बाद में कई छोटी इकायो बनाईं गई है और सबसे पहले दामोदर घाटी निगम परियोजना के तहत झारखंड में 60 मेगा वाट के चार ऊर्जा स्टेशनों की स्थापना की गई थी भारत में बड़े पैमाने पर ऊर्जा के विकास की दिशा में प्रथम कदम था भारत में ताप ऊर्जा को लेकर पॉवर स्टेशन का विकास किया गया तापीय ऊर्जा स्टेशनों की वृहद श्रृंखला का अगुवा रहा ।
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भारत में मुख्य ताप विद्युत केंद्र :-
हरियाणा – पानीपत और फरीदाबाद
दिल्ली – दिल्ली
उत्तर-प्रदेश – हरदुआगंज, परीछा, रिहंद, पनकी, दादरी, औरैया और ओबरा
राजस्थान – कोटा, अन्ता
गुजरात – गांधीनगर, साबरमती, धुवरण, अहमदाबाद, वनखाड़ी, उकई और कवास
केरल – कायमकुलम
मध्य प्रदेश – सिंगरौली और सतपुड़ा
बिहार – बरौनी, कहलगांव
झारखण्ड – बोकारो, चंद्रपुर और सुवर्णरेखा
छत्तीसगढ़ – कोरबा, विन्ध्याचल और अमरकंटक
पश्चिम बंगाल – दुर्गापुर, संतालदिह, बुंदेल, फरक्का, रालाघाट, टीटागढ़ और कोलकाता
असम – बोंगाईगांव और नामरूप
मणिपुर – लोकटक
ओडीशा – तलचर और बालीमेला
महाराष्ट्र – मुसवल, कोरडी, चंद्रपुर, नासिक, ट्राम्बे, उरन, बल्लारशाह और पुरली
आन्ध्र-प्रदेश – रामागुंडम, भद्राचलम, मनुगुरु, कोठगुदम और विजयवाड़ा
तमिलनाडु – ऐन्नोर, नेवेली और तूतीकोरिन
भारत में थर्मल पावर का वितरण अपरिवर्तनीय है। लेकिन पश्चिमी क्षेत्र तापीय ऊर्जा की निगरानी रखता है। विशेष तौर पर बड़े पावर प्लांट्स की स्थापना द्वारा, राष्ट्रीय ताप विद्युत निगम लिमिटेड की तापीय विद्युत उत्पादन के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका रहती है, इनमें से कुछ इस प्रकार हैं सिंगरौली (उत्तर प्रदेश), कोरबा (छत्तीसगढ़), रामागुंडम (आंध्र प्रदेश) और फरक्का (पश्चिम बंगाल)। एन.टी.पी.सी. लिमिटेड हिमाचल प्रदेश में जल विद्युत परियोजना के लिए भी उत्तरदायी है।
तापीय उर्जा स्टेशनों को अक्सर कोयले की दयनीय एवं अनिय्मीय आपूर्ति, उर्जा संयंत्र की निरंतर अक्षमता, इत्यादि गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ा। तापीय ऊर्जा स्टेशनों के लिए आपूर्ति होने वाले कोयले में प्रायः राख की मात्रा अधिक होती है। अंततः, निम्न दर्जे के उपकरणों की आपूर्ति और बिक्री पश्चात् सेवा का अभाव भी स्थिति को बदतर बनाते हैं।
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