Exam Wise Imp. Question PDF Patwari GK MCQ PDF RRB NTPC GK MCQ PDF Forest Guard GK MCQ PDF Patwari Computer MCQ PDF High Court LDC GK MCQ PDF 2020 Completed Current Affairs PDF |
जैविक क्रियाएं :- पादपों में होने वाली रसायनिक परिवर्तन जैसे – प्रकाश संश्लेषण , पाचन , श्वसन तथा वसा पदार्थों का संश्लेषण जबकि भौतिक परिवर्तन जैसे – वाष्प का विसरण , परासरण , वाष्पोत्सर्जन , पौधें में रसारोहण ,खनिज तत्वों एवं जल का अवशोषण , वातावरण के बीच सभी प्रकार के आदान – प्रदान का होना जैविक क्रियाएं कहलाती हैं , कोशिका की वृद्धि एवं विकास में रसायनिक एवं भौतिक दोनों प्रकार के परिवर्तन सहायक होते हैं |इन परिवर्तनों से पौधों की शरीर रचना की इकाई , कोशिका के दौरान ही होती हैं | इसी कारण कोशिका को पौधों की कार्य तथा संरचना की इकाई भी कहते हैं | इनमें होने वाले विभिन्न परिवर्तन ही कार्यिकी के क्षेत्र में आते हैं शरीर क्रिया विज्ञान |
Exam Wise Hand Writing Notes PDF Patwari Exam Notes PDF Forest Guard Notes PDF REET SST Notes PDF REET Child Development and Pedagogy PDF |
पौधों में खनिज लवण ( Mineral nutrition in plant ) :- हरे रंग के पौधों स्वपोषी ( Autotrophic ) होते हैं | ये स्वयं ही कार्बनिक पदार्थों का निर्माण करते हैं | बाह्य स्त्रोत से इनकी आपूर्ति नहीं होती | ये पौधों मुख्यतः कार्बोहाइड्रेट्स का निर्माण करते हैं| जल एवं अकार्बनिक तत्वों को सभी पौधें भूमि से प्राप्त करते | भूमि में खनिजों के रूप में अकार्बनिक तत्व उपस्थित रहते हैं | इन्हें खनिज तत्व या पोषण तत्व तथा इनके पोषण को खनिज पोषण कहते हैं | 60 विभिन्न प्रकार के खनिज तत्व पौधें के भस्म में पाये जाते है लेकिन सभी तत्व पौधें के लिए अनिवार्य नहीं होते | ऑर्नन ( 1938 ) ने खनिज पोषक तत्व की अनिवार्यता के सिद्धांत प्रतिपादित किया | जैसे – पौधों में विकार अनिवार्य तत्व की अनुपस्थिति के कारण उत्पन्न हो जाते है |इसलिए पौधें अपना जीवन चक्र नियमित रूप से पूरा कर पाते , जिससे विकार उत्पन्न हुआ हो उसी तत्व से विकार का निदान होता , तत्व उपापचय में सीधे भाग लेता हैं, अनिवार्य तत्वों का वर्गीकरण ( Classification essential element )पौधों की वृद्धि एवं विकास के लिये 17 आवश्यक पोषक तत्वों की जरूरत होती हैं |
शरीर क्रिया विज्ञान
1.) मुख्य पोषक तत्व ( Mejor nutreints ) :- वे तत्व जिनकी जरूरत पौधों को ज्यादा मात्रा में होती हैं , उन्हें मुख्य पोषक तत्व कहते हैं | उदाहरण – कार्बन , नाइट्रोजन , ऑक्सीजन , हाइड्रोजन , फास्फोरस , पोटाश |
शरीर क्रिया विज्ञान
2.) द्वितीयक पोषक तत्व ( Secondary nutreints ) :- वे तत्व जिनकी पौधों को जरूरत मुख्य तत्व की अपेक्षा कम होती हैं | द्वितीयक पोषक तत्व की संज्ञा दी जाती हैं | उदाहरण – Ca , Mg एवं S
3.) सूक्ष्म पोषक तत्व ( Micro – nutreints ) :- इस वर्ग के तत्वों की पौधों को सूक्ष्म मात्रा में आवश्यकता होती है | सूक्ष्म पोषक तत्व या Micro की संज्ञा दी जाती हैं | उदाहरण – आयरन ( Fe ) , मैग्नींज ( Mn ) , ताँबा ( Cu ) , जिंक ( Zn ) , मोलीब्डीनम ( Mo ) , क्लोरीन ( Cl ) , बोरॉन ( B ) , निकिल ( Ni )
शरीर क्रिया विज्ञान
खनिज तत्वों के सामान्य कार्य ( General fuctions of mineral elements ) :-
1.) पादप शरीर का अंश ( Frame work elements ) :- आधार तत्व ( Frame work elements ) कार्बन , हाइड्रोजन एवं ऑक्सीजन को कहते हैं | क्योंकि ये कार्बोहाइड्रेट्स का अंश हैं , जिनसे कोशिका भित्ति ( Cell wall ) का निर्माण होता हैं |
All Topic In One Notes Computer Notes Hindi Hand Writing Notes History Hand Writing Notes English Hand Writing Notes Geography Hand Writing Notes Arts And Culture Hand Writing Notes |
2.) जीवद्रव्यी तत्व ( Protoplasmic elements ) :- जीवद्रव्यी तत्व नाइट्रोजन , सल्फर एवं ऑक्सीजन को कहते हैं | क्योंकि ये जीवद्रव्य का प्रमुख भाग कार्बन , सल्फर एवं ऑक्सीजन के साथ मिलकर बनाते हैं |
3.) कैटालिटक कार्य ( Catalytic functions ) :- पौधों की विकरीय क्रियाओं में उत्प्रेरक का कार्य Fe , Mn , Zn , Cu आदि तत्व करते हैं |
4.) संतुलनकारी तत्व ( Balancing elements ) :- दूसरे खनिजों के विषैले प्रभाव को समाप्त करके आयनिक संतुलन Ca , Mn एवं K बनाते हैं |
5.) कोशा के परासरण दाब पर प्रभाव ( Influence on the Osmotic pressure ) :- विभिन्न खनिज तत्व पादप कोशिका के कोशा रस ( Cell sap ) में घुले रहते हैं | तथा ये कोशिका के परासरण दाब को नियंत्रित करने का कार्य करते हैं |
6.) pH पर प्रभाव ( Effect on pH ) :- भूमि से अवशोषण द्वारा प्राप्त विभिन्न तत्व कोशिका रस में उपस्थित हाइड्रोजन आयनों की सान्द्रता को प्रभावित करके pH नियंत्रित करने का कार्य करते हैं |
7.) खनिज तत्वों का विषैला प्रभाव ( Toxic effect of mineral element) :- पौधें विषैला प्रभाव As , Cu , Hg आदि तत्व कुछ विशेष अवस्थाओं में डालते हैं |
खनिज तत्वों की उपयोगिता ( Significance of mineral elements ) :- मृदा विहीन संवर्धन तथा विलयन संवर्धन विधि द्वारा विभिन्न तत्वों का अध्ययन किया जाता हैं | वे सभी खनिज पदार्थ जो मिट्टी से जड़ों द्वारा अवशोषित करते हैं | उनके विलयन में पौधों को उगाया जाता हैं , जिसे पोषक विलयन ( Nutreint solution ) कहते हैं | वह पोषक विलयन जिसमें सभी खनिज पदार्थ उपस्थित हो , उसे सामान्य पोषक विलयन ( Normal nutreint solution ) कहते हैं |
मृदा विहीन संवर्धन के प्रकार – मृदा विहीन संवर्धन दो प्रकार का होता हैं :-
1.) बालू का संवर्धन ( Sand culture ) :- पौधों की जड़ों को शुद्ध बालू में रखा जाता हैं एवं बालू पोषक विलयन डाला जाता हैं |
2.) विलयन संवर्धन ( Solution culture ) :- पौधों की जड़े तरल पोषक विलयन में रहती हैं तथा पौधों को तरल पोषक विलयन में उगाने की प्रणाली को हाइड्रोपॉनिक्स नाम दिया जाता हैं | पौधें में किसी विशेष तत्व कक उपयोगिता एवं प्रभाव का अध्ययन करना होता हैं तो पौधें को ऐसे पोषक विलयन में उगाते है , जिसमें वह विशेष तत्व ना हो | ऐसे विलयन को न्यूनकृत पोषक विलयन कहते हैं |
Join WhatsApp Group |
Download Our Mobile App Free |
Subscribe Telegram Channel |
Leave a Reply