सौरमंडल क्या है

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सौरमंडल क्या है

सौरमंडल :-
हमारे सौर मंडल में 8 ग्रह है जिनके रंग इन ग्रहों पर उपस्थित तत्वों के कारण भिन्न – 2 है
सौर मंडल में सूर्य और वह खगोलीय पिंड शामिल है जो इस मंडल में एक दूसरे से गुरुत्वाकर्षण बल द्वारा बंधे है, सौर परिवार में सूर्य, ग्रह, उपग्रह, उल्कापिंड, क्षुद्रग्रह और धूमकेतु आते है, सूर्य इसके केंद्र में स्थित एक तारा है , जो सौर परिवार के लिए उर्जा और प्रकाश का स्त्रोत है, पृथ्वी से इसकी दूरी 149 लाख कि.मी है सूर्य प्रकाश को पृथ्वी में आने में 8 मिनिट 18 सेकंड लगते है, सूर्य से दिखाई देने वाली सतह को “प्रकाश मंडल” कहते है सूर्य कि सतह का तापमान 6000 डिग्री सेल्सिअस होता है इसकी आकर्षण शक्ति पृथ्वी से 28 गुना ज्यादा है, परिमंडल (Corona) सूर्य ग्रहण के समय दिखाई देने वाली उपरी सतह है इसे सूर्य मुकुट भी कहते है |

सौर मंडल में ग्रह की सख्या :-
A) सूर्य (SUN) :-
1) सूर्य एक तारा हैं ।
2) सूर्य की पृथ्वी से न्यूनतम दूरी 14.70 करोड़ किमी है।
3) सूर्य की पृथ्वी से अधिकतम दूरी 15.21 करोड़ किमी है।
4) सूर्य का व्यास लगभग 13,92,000 किमी है।
5) सूर्य का प्रकाश पृथ्वी पर 8 मिनट 16.6 सेकेंड में पहुँचता हैं।
6) सूर्य की आयु लगभग 5 विलियन वर्ष है।
7) सूर्य में हाइड्रोजन 71% हिलीयम 26.5% अन्य 2.5% का रासायनिक मिश्रण होता हैं
8) सूर्य सहित सभी तारों में हाइड्रोजन और हिलीयम के मिश्रण को संलयन अभिक्रिया कहा जाता हैं।
9) सूर्य में हल्के- हल्के धब्बे को सौर्यकलन कहते है,जो चुम्बकीय विकिरण उत्सर्जित करते हैं जिससे पृथ्वी के बेतार संचार में खराबी आ जाती है |

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ग्रह (Planet) :- ग्रह उन खगोलीय पिंडों को कहा जाता है जो एक निश्चित मार्ग पर सूर्य के चारों ओर परिक्रमा करते हैं, सभी ग्रह सूर्य के पश्चिम से पूर्व की ओर परिक्रमा करते हैं,लेकिन शुक्र और अरुण इसके विपरीत परिक्रमा करते है पूर्व से पश्चिम, सूर्य से ग्रहों की दूरी का क्रम – बुध – शुक्र- पृथ्वी – मंगल – बृहस्पति – शनि – अरुण – वरुण, ग्रहों का आकार घटते क्रम में – बृहस्पति – शनि – अरुण – वरुण – पृथ्वी – शुक्र – मंगल – बुध ।

बुध ( Mercury ) :- यह सौरमण्डल का सबसे छोटा तथा सूर्य के सबसे निकट का ग्रह है, बुध सूर्य की परिक्रमा केवल 88 दिन में पूरी करता है सबसे कम समय में, इसका कोई उपग्रह नहीं है, इस ग्रह पर वायुमंडल नहीं है जिससे जीवन संभव नहीं , पृथ्वी से आकार में 18 गुना छोटा है, पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण बल का 3/8 बुध का गुरुत्वाकर्षण बल है, बुध का तापांतर सर्वाधिक 560 सेंटिग्रेट है, इसका घूर्णन काल 58.6 दिन है, मेरिनट- 10 बुध का कृत्रिम उपग्रह है।

शुक्र ( Venus ) :- यह सौरमंडल का सबसे चमकीला तथा सबसे गर्म ग्रह है, इस ग्रह का तापमान लगभग 500° सेंटीग्रेट है, सूर्य की परिक्रमा करने मे 225 दिन लगते हैं, शुक्र अन्य ग्रहों के विपरीत दिशा में पूर्व से पश्चिम सूर्य की परिक्रमा करता है ( अरुण के समान ), इसलिए सूर्योदय पश्चिम की तरफ तथा सूर्यास्त पूर्व में, इस ग्रह के वायुमंडल में लगभग 95% कार्बन डाई आँक्साइड CO² की मात्रा हैतभ तथा 3.5% भाग नाइट्रोजन का है, शुक्र पृथ्वी के सबसे निकट का ग्रह है, इस ग्रह को सांझ का तारा या भोर का तारा कहा जाता है, शुक्र को पृथ्वी की भगिनी ग्रह कहते है क्योंकि यह आकार,घनत्व एवं व्यास में लगभग पृथ्वी के समान है।
इसका कोई उपग्रह नहीं है।

सूर्य और पृथ्वी के बीच में होने के कारण यह भी अर्न्तग्रह की श्रेणी में आता है :- पृथ्वी ( Earth )
सौरमंडल का एकमात्र ग्रह जिस पर जीवन है, सूर्य से दूरी पर यह तीसरे स्थान पर है, ग्रहों के आकार एवं द्रव्यमान में यह पाँचवां स्थान पर है, पृथ्वी पर जल की उपस्थिति के कारण यह अंतरिक्ष से नीली दिखाई देती है। इसलिए इसे नीला ग्रह कहते हैं, पृथ्वी पर 71% भाग में जल है तथा 29% भाग स्थलीय है, यह अपने अक्ष पर 23½° झुकी हुई है जिससे ऋितु परिवर्तन होता है, यह पश्चिम से पूर्व अपने अक्ष पर 1610 किमी प्रति घंटा की चाल से 23 घंटे 56 मिनट और 4 सेकेंड में एक चक्कर लगाती है, पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा दीर्घवृत्ताकार पथ पर 29.72 किमी प्रति सेकेंड की चाल से 365 दिन 5 घंटे 48 मिनट 46 सेकेंड ( 365 दिन 6 घंटे ) मे करती है।
पृथ्वी को सूर्य की परिक्रमा करने में लगे समय को सौर वर्ष कहते हैं।
सूर्य से पृथ्वी की औसत दूरी 15 करोड़ किमी है। 3 जनवरी को पृथ्वी, सूर्य के निकट होती है तब यह दूरी लगभग 14.70 करोड़ किमी होती है इसे अवस्था को उपसौर कहते हैं।
पृथ्वी 4 जुलाई को सूर्य से अधिक दूरी पर होती है लगभग 15.21 करोड़ किमी, इस अवस्था को अपसौर कहा जाता है, सूर्य का प्रकाश पृथ्वी पर 8 मिनट 18 सेकेंड पर पहुंचता है, तथा चंद्रमा का प्रकाश 1 मिनट 25 सेकेंड में पहुंचता है, पृथ्वी का सबसे निकट का तारा सूर्य के बाद प्राँक्सिमा सेन्चुरी है, जो पृथ्वी से लगभग 4.22 प्रकाश वर्ष दूर है, पृथ्वी का विषुवतीय व्यास 12756 किमी है और ध्रुवीय व्यास 12714 किमी है।

पृथ्वी का एक मात्र उपग्रह है चंद्रमा :- चंद्रमा ( Moon )
यह एक छोटा सा पिंड है जो आकार में पृथ्वी के एक चौथाई है, चंद्रमा के अध्ययन करने वाले विज्ञान को सेलेनोलॅाजी कहा जाता है, चंद्रमा, पृथ्वी की परिक्रमा लगभग 27 दिन 7 घंटे 43 मिनट 15 सेकेंड में करता है तथा इतने ही समय में अपने अक्ष पर घूर्णन करता है,यही कारण है कि पृथ्वी से चंद्रमा का एक ही भाग दिखाई देता है, चंद्रमा की पृथ्वी से औसत दूरी 38465 किमी है, चंद्रमा और पृथ्वी महीने में दो बार समकोण बनाते हैं, चंद्र ग्रहण हमेशा पूर्णिमा को होता है जब सूर्य और चंद्रमा के बीच पृथ्वी आ जाती है, इसकी उच्चतम पर्वत चोटी का नाम लीबनिट्ज है, जिसकी ऊँचाई 35000 फुट (10668 मी. ) है, चंद्रमा का व्यास लगभग 3476 तथा त्रिज्या 1738 किमी है, सूर्य के संदर्भ में चंद्रमा की परिक्रमा अवधि को साइनोडिक मास या चंद्र मास कहते हैं, चंद्रमा को जीवाश्म ग्रह भी कहा जाता है, चंद्रमा पर जुलाई 1969 में अपोलो-ll अंतरिक्ष यान से नील आर्मस्ट्रांग तथा एडविन आल्ड्रिन गए थे जिन्होंने पहली बार चंद्रमा की सतह पर कदम रखा, ‘सी आफ ट्रांक्वेलिटी नामक स्थान चंद्रमा पर है, चंद्रमा उतना ही पुराना है जितनी पृथ्वी लगभग 460 करोड़ वर्ष।

मंगल (MARS ) :- मंगल को लाल ग्रह कहा जाता है, मंगल का लाल रंग वहा मौजूद आयरन ऑक्साइड की अधिक मात्रा के कारण है, यह अपने अक्ष पर 25०के कोण पर झुका हुआ है जिसकी वजह से वहा मौसम परिवर्तन होता है, मंगल ग्रह का अक्षीय झुकाव तथा दिन का मान लगभग पृथ्वी के समान है, यह अपनी धुरी पर पृथ्वी के समान 24 घंटे 6 मिनट पर एक चक्कर लगाता है, मंगल ग्रह 687 दिन में सूर्य की परिक्रमा करता है, इस ग्रह के वायुमंडल में 95 % कार्बनडाई ऑक्साइड , 2 -3 % नाइट्रोज़न तथा 2 % ऑर्गन गैस है, मंगल ग्रह के दो उपग्रह है – फोबोस और डीमोस, सौर मंडल का सबसे बड़ा ज्लामुखी ओलिपस मेसी (OLYMPUS MONSE ) इसी ग्रह पर है, मंगल ग्रह पर सौर मंडल का सबसे ऊचा पर्वत निक्स ओलंपिया है , जिसकी उचाई माउन्ट एवरेस्ट से तीन गुना ज्यादा है।

बृहस्पति ( Jupiter ) :- बृहस्पति आकार की दृष्टि से सबसे बड़ा ग्रह है तथा सूर्य से दूरी के क्रम में पाँचवां स्थान है, यह पृथ्वी से लगभग 1300 गुना अधिक बड़ा है, यह ग्रह अपनी धुरी पर सबसे तेजी से घूमता है, यह लगभग 9 घंटे 55 मिनट ( 10 घंटे ) में अपनी धुरी पर चक्कर लगाता है, बृहस्पति को सूर्य की परिक्रमा करने में लगभग 11 वर्ष 9 महीने (12 वर्ष ) लगते हैं।
इस ग्रह के वायुमंडल में हाड्रोजन, हीलीयम की अधिकता है, बृहस्पति के लगभग 16 उपग्रह है जिसमें गैनीमीड सबसे बड़ा उपग्रह है यह पीले रंग का है।

शनि ( Saturn ) :- यह ग्रह आकार में दूसरा सबसे बड़ा ग्रह है, इसके चारों ओर एक छल्ला ( वलय ) पाया जाता है जो इसकी प्रमुख पहचान है, यह काले रंग का ग्रह है, शनि ग्रह सूर्य की परिक्रमा 29 वर्षों में करता है, इसका घनत्व सबसे सबसे कम है पृथ्वी से लगभग तीस गुना कम, इस ग्रह को लाल दानव भी कहा जाता है, शनि के सबसे अधिक 30 उपग्रह है इसलिए इसे गैलेग्जी लाइक प्लेनेटस भी कहा जाता है, टाइटन ( Titan ) इसका सबसे बड़ा उपग्रह है इसका आकार लगभग बुध के समान है, टाइटन ऐसा उपग्रह है जिस पर वायुमंडल एवं गुरुत्वाकर्षण दोनों पाए जाते हैं।

अरुण ( Uranus ) :- यह ग्रह आकार में तीसरा बड़ा ग्रह है तथा सूर्य से दूरी में सातवां स्थान पर है, अरुण ग्रह की खोज ‘सर विलियम हर्शल’ ने 13 मार्च 1781 ई. को की थी, अरुण ग्रह शुक्र की तरह पूर्व से पश्चिम की ओर घूमता है, यह सूर्य की परिक्रमा 84 वर्ष में करता है। तथा इसका घूर्णन काल 10 से 25 घंटे है, यह अपने अक्ष पर इतना झुका हुआ है ( लगभग 82° ) कि लेटा हुआ दिखाई देता है इसलिए इसे लेटा हुआ ग्रह कहा जाता है, इसका आकार पृथ्वी से चार गुना बढ़ा है लेकिन इसे बिना दूरबीन के नहीं देखा जा सकता, मीथेन गैस का अधिकता के कारण यह हरा रंग का दिखाई देता है, अरुण ग्रह में शनि की तरह चारों ओर वलय पाए जाते हैं जिनके नाम – अल्फा, बीटा, गामा, डेल्टा एवं इप्सिलॅान, इसके 21 उपग्रह है जिसमें प्रमुख हैं – मिरांडा, एरियल, ओबेरॅान, टाइटैनिया, कॅार्डेलिया,ओफेलिया इत्यादि।

वरुण ( Neptune ) :- इस ग्रह की खोज 1846 ई. में जॅान गाले ने की थी, यह सूर्य से सबसे दूर आठवें स्थान पर स्थित है, यह सूर्य की परिक्रमा 166 वर्ष में में करता है, यह पीले रंग का दिखाई देता है क्योंकि इसके वायुमंडल में अमोनिया, हाइड्रोजन, मीथेन, नाइट्रोजन गैस की अधिकता है, इसके 8 उपग्रह है जिसमें ट्राइटन एवं नेरिड प्रमुख हैं।

क्षुद्रग्रह (Asteroid) :- मंगल और वृहस्पति ग्रहों के बीच स्थित अनगिनत सुक्ष्म पिंडो को क्षुद्रग्रह या अवांतर ग्रह कहते है |
उल्का पिंड (Meteorite) :- ये धुल और गैस के पिंड होते है जो पृथ्वी के निकट से गुजरने पर पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण से आकर्षित होकर गतिमान हो जाते है ओर स्वयं चमकने लगते है

ज्वालामुखी ने हमारे वायुमंडल को भी प्रभावित किया है :- गर्म लावा धरती की सतह पर गिरा जिससे नई मज़बूत ज़मीन बनी. जमी हुई पृथ्वी पर जब ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन हुआ तो ज्वालामुखी के कारण ही यह संभव हो पाया कि पृथ्वी आगे जमी न रहे, हवाई द्वीप को ही देखिए. ज्वालामुखी से निकले लावे की वजह से हवाई द्वीप समुद्र तल के बाहर निकल आया और दुनिया उसे द्वीप के तौर पर देख पाई, लेकिन ज्वालामुखी केवल पृथ्वी पर ही नहीं पाए जाते. सोलर सिस्टम की पड़ताल बताती है कि ज्वालामुखी दूसरे ग्रहों-उपग्रहों पर भी मौजूद हैं, पृथ्वी के ज्वालामुखियों से कहीं विशाल हैं, कुछ निष्क्रिय हैं और लाखों सालों से इनमें विस्फोट नहीं हुआ है और शायद आगे भी न हो लेकिन कई पृथ्वी पर मौजूद ज्वालामुखी की तरह सक्रिय हैं |

General Science Notes

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