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राजस्थान के मूर्धन्य कवि एवं साहित्यकार
ध्वनि से संबंधित :-
कम्पन करने वाली प्रत्येक वस्तु ध्वनि उत्पन्न करती है और जब ध्वनि की तीव्रता अधिक हो जाती है तो वह कानों को अप्रिय लगने लगती है। इस अवांछनीय अथवा उच्च तीव्रता वाली ध्वनि को शोर कहते हैं। शोर से मनुष्यों में अशान्ति तथा बेचैनी उत्पन्न होती है। साथ ही साथ कार्यक्षमता पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। वस्तुतः शोर वह अवांक्षनीय ध्वनि है जो मनुष्य को अप्रिय लगे तथा उसमें बेचैनी तथा उद्विग्नता पैदा करती हो। पृथक-पृथक् व्यक्तियों में उद्विग्नता पैदा करने वाली ध्वनि की तीव्रता अलग-अलग हो सकती है। वायुमंडल में अवांछनीय ध्वनि की मौजूदगी को ही ‘ध्वनि प्रदूषण’ कहा जाता है। ध्वनि प्रदूषण से होने वाले खतरों की गम्भीरता को देखकर नोबेल पुरस्कार विजेता वैज्ञानिक राबर्ट कोच ने आठ दशक पूर्व प्रतिक्रिया व्यक्त की थी कि भविष्य में एक दिन ऐसा आएगा, जब मनुष्य को स्वास्थ्य के सबसे बड़े शत्रु के रूप में शोर से संर्घष करना पड़ेगा। कैलीफोर्निया विश्वविद्यालय के पूर्व चान्सलर डॉ. वर्ननुडसन का मत है कि शोर एक धीमी गति वाला मृत्युदण्ड है।
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ध्वनि के बारे में कुछ रोचक तथ्य क्या है :-
सौरभ कुमार (Sourabh Kumar)
सौरभ कुमार (Sourabh Kumar), प्राइवेट कॉलेज में प्रोफेसर (2016 – अभी तक)
08-08-2019 को जवाब दिया · लेखक के 427 जवाब हैं और उनके जवाबों को 1 लाख बार को देखा गया है |
मेरी एक इंजीनियरिंग की सीनियर का नाम “ध्वनि” था |
ध्वनि के संचरण के लिये माध्यम (मिडिअम्) की जरूरत होती है। ठोस द्रव, गैस एवं प्लाज्मा में ध्वनि का संचरण सम्भव है। निर्वात में ध्वनि का संचरण नहीं हो सकता।
द्रव, गैस एवं प्लाज्मा में ध्वनि केवल अनुदैर्घ्य तरंग (longitudenal wave) के रूप में चलती है जबकि ठोसों में यह अनुप्रस्थ तरंग (transverse wave) के रूप में भी संचरण कर सकती है।। जिस माध्यम में ध्वनि का संचरण होता है यदि उसके कण ध्वनि की गति की दिशा में ही कम्पन करते हैं तो उसे अनुदैर्घ्य तरंग कहते हैं; जब माध्यम के कणों का कम्पन ध्वनि की गति की दिशा के लम्बवत होता है तो उसे अनुप्रस्थ तरंग कहते है।
सामान्य ताप व दाब (NTP) पर वायु में ध्वनि का वेग लगभग 343 मीटर प्रति सेकेण्ड होता है। बहुत से वायुयान इससे भी तेज गति से चल सकते हैं उन्हें सुपरसॉनिक विमान कहा जाता है।
मानव कान लगभग २० हर्ट्स से लेकर २० किलोहर्टस (२०००० हर्ट्स) आवृत्ति की ध्वनि तरंगों को ही सुन सकता है। बहुत से अन्य जन्तु इससे बहुत अधिक आवृत्ति की तरंगों को भी सुन सकते हैं।
एक माध्यम से दूसरे माध्यम में जाने पर ध्वनि का परावर्तन एवं अपवर्तन होता है।
माइक्रोफोन ध्वनि को विद्युत उर्जा में बदलता है; लाउडस्पीकर विद्युत उर्जा को ध्वनि उर्जा में बदलता है।
ध्वनि प्रदूषण के स्रोत :-
ध्वनि प्रदूषण मुख्यतः दो प्रकार के स्रोतों से होता है।
प्राकृतिक स्रोत :-
बिजली की कड़क, बादलों की गड़गड़ाहट, तेल हवाएं, ऊंचे स्थान से गिरता जल, आंधी, तूफान, ज्वालामुखी का फटना एवं उच्च तीव्रता वाली जल वर्षा आदि।
कृत्रिम स्रोत :-
यह स्रोत मानव जनित है। उदाहरणार्थ- मोटर वाहनों से उत्पन्न होने वाला शोर, वायुयानो से होने वाला शोर, रेलगाड़ियों तथा उनकी सीटी से होने वाला शोर, लाउडस्पीकरों एवं म्यूजिक सिस्टम से होने वाला शोर, टाइपराइटरो की खड़खड़ाहट, टेलीफोन की घण्टी आदि से उत्पन्न होने वाला शोर आदि।
ध्वनि स्तर का मापन :-
ध्वनि विज्ञान को श्रवण विज्ञान कहते है। ध्वनि की सामान्य मापन इकाई डेसिबल संक्षेप में db कहलाती है। डेसिबल ध्वनि की तीव्रता की मापन इकाई है। ध्वनि दाब की अन्य मापन इकाई वेटेड साउंड प्रेसर या भारित ध्वनि दाब है, जिसे संक्षिप्त रूप में db(A) नाम से जाना जाता है। ध्वनि की तीव्रता के मापन की दो इकाइयों db तथा db(A) में मूलभूत अंतर यह है कि db ध्वनि तीव्रता की माप है जबकि db(A) ध्वनि दाब की माप है।
डेसिबल (db) मापक शून्य से प्रारंभ होता है, जो सामान्य मनुष्य के कान द्वारा सुनी जा सकने वाली सर्वाधिक धीमी आवाज को प्रदर्शित करता है। डेसिबल मापक में प्रति दस गुना वृद्धि का मतलब 10 db है। यदि सर्वाधिक मंद मापक पर ध्वनि तीव्रता 10 db वृद्धि होती है तो डेसिबल मापक ध्वनि तीव्रता 10 db होगी। यदि ध्वनि की तीव्रता में 100 गुना वृद्धि हो जाती है तो वह 20 db होगी, 1000 गुना वृद्धि हाने पर ध्वनि की तीव्रता डेसिबल मापक पर 30 db होगी।
ध्वनि मापन :-
ध्वनि स्रोत ध्वनि तीव्रता
शनि रॉकेट टेक ऑफ 200 db
5 सायरन 100 db
भारी वाहन कारखाना 80 db
सामान्य बात 60 db
चर्चा 20 db
श्रवण देहली 0 db
शून्य डेसिबल से क्षीण आवाज नहीं सुनी जा सकती हैं। मनुष्य के कान कम से कम शून्य तथा अधिक से अधिक 180 डेसिबल शोर की श्रंखला का सामना कर सकते है। 10 डेसीबल सामान्य मनुष्य द्वारा सांस लेने से उत्पन्न ध्वनि तथा पत्तियों की सरसराहट को प्रदर्शित करता है। 20 डेसीबल मनुष्य की फुसफुसाहट को प्रदर्शित करता है। 50 से 55 डेसीबल वाली ध्वनि से नींद में खलल पड़ सकता है। 90 से 96 डेसीबल वाली ध्वनि से मनुष्य के शरीर की नाड़ी प्रणाली में पुनः ठीक न किये जाने वाले परिवर्तन होने लगते हैं। 150 से 160 डेसीबल वाली ध्वनियां प्राणघातक हो सकती हैं। अधिकतर देशों में ध्वनि की अधिकतम स्वीकार्य सीमा 75 से 85 डेसीबल निर्धारित की गई है। इससे अधिक की ध्वनियां मानव स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक होती हैं। प्रो. ग्राल के अनुसार 150 डेसिबल की ध्वनि एक ही बार मे मनुष्य को बहरा बना सकती है। 155 डेसिबल की ध्वनि त्वचा को जला सकती है और 185 डेसिबल की ध्वनि से मृत्यु तक हो सकती है। लगातार 80 डेसिबल के शोर में रहने पर मनुष्य की श्रवण शक्ति को स्थायी रूप से नुकसान पहुंच सकता है।
ध्वनी प्रदूषण का मानव जीवन पर प्रभाव :-
ध्वनि प्रदूषण (शोर) का मानव जीवन पर व्यापक प्रभाव पड़ता है। लगातार शोर में रहने पर मानसिक तनाव, कुंठा, चिड़चिड़ापन, बोलने में व्यवधान, बैचैनी, नींद की कमी आदि समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं जो मानव जीवन को प्रभावित करती हैं। जिन मज़दूरों को अधिक शोर मे काम करना होता है वे हृदय रोग, शारीरिक शिथिलता, रक्तचाप आदि अनेक रोगों से ग्रस्त हो जाते है। शोर से हार्मोन सम्बन्धी परिवर्तन होते हैं जिनसे शरीर में कई प्रकार के परिवर्तन हो जाते हैं। विस्फोटों तथा सोनिक बमों की अचानक उच्च ध्वनि से गर्भवती महिलाओं में गर्भपात भी हो सकता है। लगातार शोर में रहने वाली महिलाओ के नवजात शिशुओं में विकृतियां उत्पन्न हो जाती हैं। दीर्घ अवधि में ध्वनि प्रदूषण में रहने वाले लोगो में न्यूरोटिक मेण्टल डिसॉर्डर हो जाता है, मांसपेशियों में तनाव तथा खिंचाव हो जाता है और स्नायुओं में उत्तेजना पैदा हो जाती है। शोर के कारण रक्त मे कोलेस्ट्राल तथा कार्टीजोन का स्तर बढ़ जाता है, जिससे बहुत से रोगों की सम्भावनाएं बढ़ जाती हैं। तीव्र शोर के कारण वायुमण्डल का घनत्व बढ़ जाता है। इस स्थिति का सामना करने के लिए मनुष्य को 1600 कैलोरीज की अतिरिक्त आवश्यकता होती है।
केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा निर्धारित ‘मानक ध्वनि :-
क्षेत्र अवधि अधिकतम
आवासीय क्षेत्र दिन 55 db
रात 48 db
व्यापारिक क्षेत्र दिन 65 db
रात 55 db
औद्योगिक क्षेत्र दिन 75 db
रात 70 db
ध्वनि प्रदूषण रोकने के उपाय :-
इस भौतिक वादी युग में ध्वनि प्रदूषण को रोकना आसान नहीं, फिर भी कुछ तरीके अपनाकर इसको कम किया जा सकता है।
निर्धारित सीमा से अधिक शोर उत्पन्न करने वाले वाहनो पर मुख्य मार्गों एवं आवासीय क्षेत्रों से निकलने पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए।
मोटर के इंजनो तथा अन्य शोर उत्पन्न करने वाली मशीनो की संरचना इस प्रकार की जानी चाहिए कि कम ध्वनि उत्पन्न हो।
कल कारखानों को शहरी तथा आवासीय बस्तियों से बाहर स्थापित किया जाना चाहिए।,
ऐसे उद्योग जिनमें शोर कम न किया जा सके, वहां के श्रमिकों को कर्णप्लग अथवा कर्णबन्दक प्रदान किये जाने चाहिए।
वाहनो के साइलेंसरो की जांच समय समय पर की जानी चाहिए।,
बैंड-बाजों, लाउडस्पीकरों एवं नारेबाजी को प्रतिबंधित किया जाय।
रेल द्वारा जो ध्वनि प्रदूषण होता है, उसे घर्षण ध्वनिरहित रेल पथों के निर्माण से कम किया जा सकता है।
ध्वनि विस्तारक यंत्र का उपयोग निर्धारित सीमा अनुसार किया जाये :-
नवदुर्गा महोत्सव आयोजन के दौरान यदि संबंधित कमेटियों द्वारा ध्वनि विस्तारक यंत्रों का उपयोग किया जाता है तो उनके द्वारा लाउड स्पीकर की सीमित आवाज में रात्रि 10 बजे तक ही ध्वनि विस्तारक यंत्र का उपयोग करने हेतु आदेषित किया गया है। यदि आयोजकों द्वारा ध्वनि विस्तारक यंत्रों की आवाज को अधिकतम सीमा तक रखकर देर रात तक इनका उपयोग किया जाता है तो उच्चतम न्यायालय के आदेषानुसार संबंधित के विरूद्ध सख्त कार्रवाई की जायेगी।
ज्ञातव्य है कि ध्वनि प्रदूषण से आम नागरिकों खासकर बुजुर्गों, हार्टपेसेन्ट, बच्चों की शिक्षा एवं समाज पर वितरीत प्रभाव पड़ता है एवं स्वास्थ्य के लिये हानिकारक होता है। इस संबंध में उच्चतम न्यायालय द्वारा सीमित आवाज में रात्रि 10 बजे तक ही ध्वनि विस्तारक यंत्रों के उपयोग करने हेतु आदेशित किया गया है। अतः आयोजकों को उच्चतम न्यायालय के आदेशों का पालन करने हेतु निर्देशित किया गया है।
इस संबंध में टीकमगढ़ पुलिस द्वारा आम जनता से भी अपील की गई है कि नियमों का पालन करते हुये शासन से सामंजस्य एवं शांति व्यवस्था में सहयोग देते हुये धार्मिक त्यौहारों का आयोजन सम्पादित करना सुनिश्चित करें जिससे कि आम नागरिक शांतिपूर्ण एवं सदभाव में धार्मिक त्यौहार का आनंद ले सकें।
कार्यक्रम अवलोकन :-
ध्वनि उत्पादन में डिप्लोमा सर्वश्रेष्ठ ध्वनि इंजीनियरिंग कोर्स मलेशिया में उपलब्ध है, पेशेवर ऑडियो उद्योग के साथ परामर्श में विकसित किया है, और अत्यधिक कुशल ध्वनि इंजीनियरों के लिए मांग को पूरा करने के लिए उद्योग के विशेषज्ञों द्वारा सिखाया जाता है।
यह 2 साल के कार्यक्रम के माध्यम से, आप रिकॉर्ड मास्टर संगीत और ऑडियो सबसे अच्छा ऑडियो उत्पादन उपकरण और सॉफ्टवेयर का उपयोग करने के लिए मिश्रण और कौशल का विकास होगा। आप प्रो उपकरण का उपयोग कर, एक उद्योग मानक डिजिटल ऑडियो कार्य केंद्र फिल्म, टीवी और वीडियो गेम के लिए ध्वनि डिजाइन करने के लिए तकनीकी कौशल और रचनात्मकता को लागू करने के लिए सीखना होगा। तुम भी एक टीम के साथ काम करने के लिए संगीत और घटनाओं एक पेशेवर पीए सिस्टम प्रयोग करने के लिए लाइव साउंड इंजीनियर के लिए सीखना होगा।
ध्वनि मेल कार्य नहीं इस मुद्दे को ठीक करने के तीन तरीके :-
iPhone त्रुटि
1 iPhone त्रुटियाँ
iPhone त्रुटि 9
iPhone त्रुटि 21
iPhone त्रुटि 4013/4014
iPhone त्रुटि 3014
iPhone त्रुटि 4005
iPhone त्रुटि 3194
iPhone त्रुटि 1009
iPhone त्रुटि 14
iPhone त्रुटि 2009
iPhone त्रुटि 29
आईपैड त्रुटि 1671
iPhone अनलॉक
मरम्मत iphone स्क्रीन
iPhone एक्टिवेशन त्रुटि
iPhone त्रुटि 27
आइट्यून्स त्रुटि 23
आइट्यून्स त्रुटि 39
आइट्यून्स त्रुटि 50
2 iPhone समस्याएं
आप एक iPhone ध्वनि मेल काम नहीं कर समस्या का सामना कर रहे हैं? यदि हां, तो आपको चिंता करने की या अब और उपेक्षित महसूस क्योंकि तुम केवल एक ही नहीं कर रहे हैं नहीं है। बस किसी भी अन्य अनुप्रयोग की तरह, ध्वनि मेल एप्लिकेशन समय पर इस तरह के गरीब नेटवर्क विन्यास, अद्यतन के रूप में विभिन्न कारणों की वजह रोकने सकता है, और ज्यादातर मामलों में, पुरानी iPhone सॉफ्टवेयर का उपयोग।
आप इस समस्या से काम नहीं कर एक iPhone ध्वनि मेल है, तो आप एक या निम्न समस्याओं में से सभी का अनुभव हो सकता
डुप्लिकेट संदेश प्राप्त करना।
अधिसूचना के अभाव लग रहा है।
अपने कॉल करने के लिए एक संदेश छोड़ने के लिए सक्षम नहीं हो सकता।
अब आप संदेशों अनुप्रयोग में कोई भी ध्वनि मिलता है।
अब आप अपने iPhone स्क्रीन पर ध्वनि मेल संदेश देखते हैं।
ध्वनि—एक आधुनिक बाधा :-
ब्रिटॆन में सजग होइए! संवाददाता द्वारा
“यह जीवन में अत्यधिक तनाव लाती है।”—माकीस त्सापोगास, विश्व स्वास्थ्य संगठन का परामर्शदाता।
“यह अमरीका की सबसे व्यापक प्रदूषक है।”—द बॉस्टन सन्डे ग्लोब, अमरीका।
“यह हमारे समय की सबसे अनर्थकारी प्रदूषक है।”—डेली ऎक्सप्रॆस, लंदन, इंग्लैंड।
आप इसे देख, सूँघ, चख, अथवा छू नहीं सकते। ध्वनि, आधुनिक शहरी जीवन का श्राप, अब गाँवों को भी प्रदूषित कर रही है।
General Science Notes |
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