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राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार
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राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार क्या है , राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार इन क्षेत्रों में दिया जाता है , राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार में क्या-क्या मिलता है , राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार कौन-कौन सी सुविधाएं , अब तक राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार दिए गए व्यक्तियों कि सूची ,
राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार क्या है :-
राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार भारत में हर वर्ष 26 जनवरी की पूर्व संध्या पर बहादुर बच्चों को दिए जाते हैं। भारतीय बाल कल्याण परिषद ने 1957 में ये पुरस्कार शुरु किये थे। पुरस्कार के रूप में एक पदक, प्रमाण पत्र और नकद राशि दी जाती है। सभी बच्चों को विद्यालय की पढ़ाई पूरी करने तक वित्तीय सहायता भी दी जाती है। 26 जनवरी के दिन ये बहादुर बच्चे हाथी पर सवारी करते हुए गणतंत्र दिवस परेड में सम्मिलित होते हैं।
भारतीय बाल कल्याण परिषद के प्रायोजित कार्यक्रम के अंतर्गत विजेताओं को तब तक वित्तीय सहायता दी जाती है जब तक उनकी स्कूल की पढ़ाई पूरी नहीं होती। कुछ राज्य सरकारें भी वित्तीय सहायता देती हैं। इंदिरा गांधी छात्रवृत्ति योजना के अंतर्गत आईसीसीडब्ल्यू उन बच्चों को वित्तीय सहायता देती है जो इंजीनियरिंग और मेडिकल जैसे व्यावसायिक पाठ्यक्रम की पढ़ाई करते हैं। अन्य बच्चों को यह सहायता उनकी स्नातक शिक्षा पूरी होने तक दी जाती है। भारत सरकार ने विजेता बच्चों के लिए मेडिकल और इंजीनियरिंग कॉलेज तथा पोलीटेक्नीक में कुछ सीटें आरक्षित कर रखी हैं। वीरता पुरस्कारों के लिए चयन उच्च अधिकार प्राप्त समिति करती है जिसमें विभिन्न मंत्रालयों/विभागों के प्रतिनिधि, गैर सरकारी संगठन और भारतीय बाल कल्याण परिषद के वरिष्ठ सदस्य शामिल होते हैं
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राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार इन क्षेत्रों में दिया जाता है :-
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज 18 बच्चों को राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार प्रदान किए। इनमें से तीन पुरस्कार मरणोपरांत प्रदान किए गए।
पुरस्कृत बच्चों के साथ बातचीत करते हुए प्रधानमंत्री महोदय ने कहा कि उनकी वीरता के कार्यों पर बहुत चर्चा हुई है और मीडिया ने भी खूब उल्लेख किया है। उन्होंने कहा कि अन्य बच्चे भी इससे प्रेरित होंगे और उनमें भी आत्मविश्वास की भावना पैदा होगी।
प्रधानमंत्री महोदय ने कहा कि अधिकतर पुरस्कार प्राप्त बच्चे ग्रामीण और साधारण पृष्ठभूमि के हैं। उन्होंने कहा कि शायद उनके दैनिक संघर्षों के कारण उनके अंदर यह भावना पैदा हुई और वे हर विपरीत परिस्थिति में बहादुरी के साथ काम करने में सक्षम हुए।
प्रधानमंत्री महोदय ने सभी विजेताओं, उनके माता-पिता और अध्यापकों को बधाई दी। उन्होंने उन लोगों की भी प्रशंसा की, जिन्होंने बच्चों की बहादुरी के कामों को दर्ज किया और लोगों का ध्यान आकर्षित करने में सहायता की।
श्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि अब भविष्य में भी पुरस्कार विजेताओं से अधिक आशा की जाएगी। उन्होंने बच्चों को उनके भावी जीवन के लिए शुभकामनाएं दीं।
इस अवसर पर महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती मेनका गांधी भी उपस्थित थीं।
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राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार में क्या-क्या मिलता है :-
स्वतंत्रता के पश्चात, भारत सरकार द्वारा 26 जनवरी, 1950 को प्रथम तीन वीरता पुरस्कार अर्थात परम वीर चक्र, महावीर चक्र और वीर चक्र प्रारंभ किए गए थे, जिन्हें 15 अगस्त, 1947 से प्रभावी माना गया था |
इसके पश्चात, भारत सरकार द्वारा दिनांक 4 जनवरी, 1952 को अन्य तीन वीरता पुरस्कार अर्थात अशोक चक्र श्रेणी I, अशोक चक्र श्रेणी-II और अशोक चक्र श्रेणी-III प्रारंभ किए गए थे जिन्हें 15 अगस्त, 1947 से प्रभावी माना गया था । इन पुरस्कारों को जनवरी, 1967 में क्रमशः अशोक चक्र, कीर्ति चक्र और शौर्य चक्र के रूप में पुनः नाम दिया गया था।
राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार कौन-कौन सी सुविधाएं :-
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को 18 बहादुर बच्चों को राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार प्रदान किया. अपनी जान जोखिम में डालकर साहसिक कार्य करने वाले जिन बच्चों को इस साल वीरता पुरस्कार से नवाजा गया, उसमें आगरा की नाजिया और रायपुर की लक्ष्मी यादव भी शामिल रहे. इस साल तीन बच्चों को मरणोपरांत यह वीरता पुरस्कार दिया गया |
इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि वीरता पुरस्कार पाने वाले इन बच्चों ने साहसिक कार्य करके नजीर पेश की है. उन्होंने कहा कि पुरस्कार पाने वाले ज्यादातर बच्चे ग्रामीण पृष्ठभूमि से आते हैं. इनके रोजाना के संघर्ष ने इनको विपरीत परिस्थितियों से निपटने का साहस दिया
आगरा की नाजिया को यह वीरता पुरस्कार जुआरियों और सट्टेबाजों के गिरोह का पर्दाफाश करने का साहसिक कार्य करने के लिए दिया गया है, जबकि लक्ष्मी यादव को अपनी सूझबूझ से तीन अपहरणकर्ता को गिरफ्तार करवाने के लिए यह पुरस्कार दिया गया है. इसके अलावा अपने साहस और हिम्मत से 74 वर्ष के एक बुजुर्ग और पशुओं की आग से रक्षा करने वाले चिंगई को भी प्रधानमंत्री मोदी ने वीरता के पुरस्कार से नवाजा |
अब तक राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार दिए गए व्यक्तियों कि सूची :-
1) 2012-2013 – वर्ष 2012 के दौरान किए गए साहसिक कृत्यों के लिए 2013 के गणतंत्र दिवस पर 22 बच्चो (18 लड़के, 4 लड़कियां) को पुरस्कृत किया गया। इनमें से कुछ ने बच्चों और बुजर्गों को डूबने से बचाया जबकि कुछ ने अपने साथियों और परिवार के सदस्यों को अग्नि, डकैती और चोरों के हाथों मारे जाने से बचाया है। एक लड़की ने अपनी छोटी बहन की चीते के पंजों से रक्षा की और दूसरी ने बाल विवाह से बचने के लिए अधिकारियों को इसकी जानकारी दी। एक बहादुर बच्चे की कुछ अन्य बच्चों को डूबने से बचाने के दौरान मृत्यु हो गयी।
2) 2014 – में बहादुरी पुरस्कार के लिए 25 बच्चों को दिए गए, जिनमें 9 लड़कियां शामिल हैं। पांच पुरस्कार मरणोपरांत दिए गए।
2014 में बहादुरी पुरस्कार के लिए 25 बच्चों को दिए गए, जिनमें 9 लड़कियां शामिल हैं। पांच पुरस्कार मरणोपरांत दिए गए।
भारत पुरस्कार साढ़े आठ वर्षीय दिल्ली की कुमारी महिका को दिया जाएगा, जिसने केदारनाथ (उत्तराखंड) की बाढ़ में अपने भाई की जान बचाई थी।
गीता चोपड़ा पुरस्कार राजस्थान की 16 वर्षीय कुमारी मलिका सिंह को दिया जाएगा, जिसने अपने साथ छेड़छाड़ कर रहे लोगों से मुकाबला करते समय बहादुरी का परिचय दिया।
संजय चोपड़ा पुरस्कार महाराष्ट्र के 17 वर्षीय शुभम संतोष चौधरी को दिया जाएगा, जिसने स्कूल वैन में आग लगने पर दो बच्चों की जान बचाई।
बापू गैधानी पुरस्कार महाराष्ट्र के साढ़े 17 वर्षीय मास्टर संजय नवासू सुतार, महाराष्ट्र के 13 वर्षीय अक्षय जयराम रोज, उत्तर प्रदेश की 11 वर्षीय स्वर्गीय कुमारी मौसमी कश्यप और 14 वर्षीय स्वर्गीय मास्टर आर्यन राज शुक्ला को प्रदान किया जाएगा।
3) 2015 – राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार-2015 तीन लड़कियों और 22 लड़कों सहित कुल 25 बहादुर बच्चों को दिए गए।
भारत पुरस्कार महाराष्ट्र के 15 वर्षीय स्वर्गीय मास्टर गौरव कवडूजी सहस्रबुद्धि को प्रदान किया जाएगा, जिसने अपने चार मित्रों को बचाने के प्रयास में अपना जीवन बलिदान कर दिया।
गीता चोपड़ा पुरस्कार तेलंगाना की 8 वर्षीय कुमारी शिवमपेट रूचिता को दिया जाएगा, जिसने अपनी स्कूल बस की एक ट्रेन से टक्क्र होने के बाद दो बहुमूल्य जान बचाते हुए अदम्य साहस का परिचय दिया।
संजय चोपड़ा पुरस्कार उत्तराखंड के 16 वर्षीय मास्टर अर्जुन सिंह को प्रदान किया जाएगा, जिसने अपनी मां के जीवन को एक चीते से बचाते हुए अदम्य साहस का परिचय दिया।
बापू गैधानी पुरस्कार मिजोरम के 15 वर्षीय मास्टर रामदीनथारा, गुजरात के 13 वर्षीय मास्टर राकेशभाई शानाभाई पटेल और केरल के 12 वर्षीय मास्टर अरोमल एस.एम. को प्रदान किया जाएगा। मास्टर रामदीनथारा ने बिजली से दो व्यक्तियों की जान बचाई। मास्टर राकेशभाई ने एक गहरे कुंए में गिर गए एक लड़के की जान बचाई, जबकि मास्टर अरोमल ने दो महिलाओं को डूबने से बचाया।
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