राजस्थान का एकीकरण , राजस्थान का एकीकरण का इतिहास

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राजस्थान का एकीकरण का इतिहास :-
1947 में जब देश आजाद हुआ तो तत्कालीन भारत सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती थी भारत को एक सूत्र में बांधना। आजादी के समय भारत में कई छोटी- बड़ी रियासतों का अपना स्वतंत्र अस्तित्व था। जिसमें से कई तो स्वतः या आसानी से भारत में विलय के लिए तैयार हो गईं जबकि अन्य को विलय कराने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा था।
एकीकरण की प्रक्रिया के दौरान राजस्थान का एकीकरण और विलय काफी अहम और महत्वपूर्ण था। राजस्थान का एकीकरण 7 चरणों में पूरा हुआ। राजस्थान के एकीकरण में 8 वर्ष 7 माह 14 दिन लगे, जो कि 18 मार्च 1948 से शुरू होकर 1 नवंबर 1956 को पूरा हुआ। आजादी के समय राजस्थान में 19 रियासतें, 3 ठिकाने (लावा, कुशलगढ़, नीमराना ठिकाना) और 1 केंद्र शासित प्रदेश अजमेर-मेरवाड़ा था। एकीकरण की प्रक्रिया में शामिल होने वाली पहली रियासत अलवर और अंतिम रियासत सिरोही अजमेर मेरवाड़ा क्षेत्र थे।

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राजस्थान का एकीकरण 7 चरणों में हुआ :-
राजस्थान के एकीकरण में 8 वर्ष 7 माह 14 दिन लगे
मेवाड़- सबसे प्राचीन रियासत
झालावाड़- सबसे नवीन रियासत
जोधपुर -सबसे बड़ी रियासत
शाहपुरा (भीलवाड़ा)-सबसे छोटी रियासत के राजस्थान के एकमात्र रियासत थी जहां के शासक दर्शन देव ने 14 अगस्त 1947 को उत्तरदाई शासन की स्थापना की
जैसलमेर – 1947 में राजस्थान की एकमात्र वैधानिक सुधार में उत्तरदाई सरकार स्थापित करने की दिशा में कोई प्रयास नहीं किया
टोंक- राजस्थान के स्वतंत्र होने के समय यह एकमात्र ऐसी रियासत थी जिसका शासक मुसलमान था टोक -मुसलमान रियासत का संस्थापक आमिर खान पिंडारी था
धौलपुर ,भरतपुर -18वीं शताब्दी के मध्य में जाट वंश का इन रियासतों पर आधिपत्य था

एकीकरण के चरण –
1) मत्स्य संघ (18 मार्च 1948) प्रथम चरण :-
उद्घाटन स्थान :- लोहागढ़ दुर्ग (भरतपुर)
मत्स्य संघ :- अलवर ,भरतपुर, धौलपुर, करौली , ठिकाना नीमराना को मिलाकर बनाया गया
राजधानी : – विराटनगर (अलवर)
मत्स्य संघ नाम दिया : – कन्हैयालाल माणिक्यलाल (के एस) मुंशी
एन .वी गाडगिल :- मत्स्य संघ के उद्घाटनकर्ता
अलवर(विराट नगर ) :- मत्स्य संघ की राजधानी
राजप्रमुख :- उदयभान सिंह (धौलपुर शासक)
प्रधानमंत्री :- शोभाराम कुमावत
उपराजप्रमुख :– गणेशपाल (करोली)

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2) पूर्वी राजस्थान राजस्थान संघ (25 मार्च 1948) द्वितीय चरण :-
पूर्वी राजस्थान:- इस चरण में 9 रियासतें कोटा ,बूंदी ,झालावाड़ ,बांसवाड़ा, टोक , प्रतापगढ़, शाहपुरा किशनगढ़,डूंगरपुर , वह 1 ठिकाना कुशलगढ़ को मिलाकर बनाया गया था
एनवी गॉड गिल :- पूर्व राजस्थान संघ के उद्घाटन
उद्घाटनकर्ता :– एन. वी. गोडविल
राजप्रमुख :– महाराव भीमसिंह (कोटा)भीमसिंह हाडोती संघ का निर्माण करना चाहते थे
उपराजप्रमुख : – बहादुरसिंह (बूंदी)
प्रधानमंत्री :– गोकुल लाल असावा
राजधानी :– कोटा पूर्व राजस्थान संघ की राजधानी
चंद्रवीर सिंह:- बांसवाड़ा के शासक अपने राज्य के द्वितीय चरण के में विलय के समय कहा
(मैं अपने डेथ वारंट (मृत्यु दस्तावेज )हस्ताक्षर कर रहा हूं)

3) संयुक्त राजस्थान( 18 अप्रैल 1948 ) तृतीय चरण :-
रियासत :– उदयपुर (पूर्व राजस्थान में उदयपुर का विलय कर संयुक्त राजस्थान नाम दिया)
उद्घाटनकर्ता :– जवाहर लाल नेहरू
राजप्रमुख :– भूपालसिंह (उदयपुर)
उपराजप्रमुख :– भीमसिंह (कोटा)
प्रधानमंत्री :– माणिक्य लाल वर्मा
राजधानी :– उदयपुर

4) वृहत राजस्थान( 30 मार्च 1949) चतुर्थ चरण :-
रियासते :– जयपुर, जोधपुर, बीकानेर, जैसलमेर 19 जुलाई, 1948 को केंद्रीय सरकार के आदेश पर लावा ठिकाने को जयपुर राज्य में मिला लिया
उद्घाटनकर्ता: – सरदार पटेल
राजप्रमुख :– सवाई मानसिंह द्वितीय (जयपुर के महाराजा वृहत राजस्थान के राज्य प्रमुख आजीवन)
महाराज प्रमुख : – भूपाल सिंह (उदयपुर महाराणा )
उपराजप्रमुख : – भीम सिंह (कोटा)
प्रधानमंत्री : – प. हीरा लाल शास्त्री
राजधानी : – जयपुर को राजस्थान की राजधानी श्री पंडित सत्यनारायण राव की अध्यक्षता में गठित समिति की सिफारिश पर बनाया गया था

5) संयुक्त वृहद राजस्थान (15 मई में 1949 ) पंचम चरण :-
वृहत राजस्थान में मत्स्य संघ को मिलाकर इस संघ का निर्माण किया गया
राजधानी :- जयपुर वृहद राजस्थान सघ की राजधानी
राजप्रमुख :- सवाई मानसिंह द्वितीय
प्रधानमंत्री :- पंडित हीरालाल शास्त्री
महाराज प्रमुख :- भूपाल सिंह (उदयपुर महाराणा )

6) राजस्थान संघ (26 जनवरी 1950) छटा चरण :-
राजस्थान :- सिरोही जिले का कुछ भाग सहित व्रहत राजस्थान में और देलवाड़ा आबू क्षेत्र मुंबई प्रांत को सौप कर राजस्थान संघ बनाकर इसे ख राज्यों में स्थान दिया गया
महाराज प्रमुख :- भूपाल सिंह (उदयपुर महाराणा )
राजप्रमुख :- सवाई मानसिंह द्वितीय
26 जनवरी 1950 :- अपने निर्माण के समय राजस्थान द्वितीय श्रेणी पार्टी का राज्य बना था

7) पुनर्गठित आधुनिक राजस्थान 1 नवंबर 1956 सप्तम चरण :-
रियासत :- अजमेर केंद्र शासित प्रदेश , आबू, देलवाड़ा
इसी समय राजप्रमुख पद समापत किया गया
राज्यपाल का पद सृजित किया गया
केंद्र शासित सिरोही का पूरा भाग अजमेर मेरवाड़ा फैजल अली समिति की सिफारिश पर सुनेल टप्पा (मध्यप्रदेश के मंदसौर जिले का भाग) को राजस्थान में मिलाया गया
तथा कोटा का एक भाग सिरोंज क्षेत्र मध्यप्रदेश को दिया गया
जयपुर – राजस्थान की राजधानी( सत्यनारायण राव समिति की सिफारिश पर)
5 जुलाई 1955 – महाराष्ट्र प्रमुख पद पर महाराणा भूपाल सिंह के निधन के बाद समाप्त हो गया था
1 नवंबर 1956 -राजस्थान में राजप्रमुख का पद समाप्त कर दिया गया था
गुरुमुख निहालसिंह – राजस्थान के प्रथम राज्यपाल

History Notes

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