भारत की संसद लोकसभा

लोकसभा क्या है , भारत में कितने सांसद है , लोकसभा में कितने सदस्य होते हैं , भारत में लोकसभा की कितनी सीट है , लोकसभा में विपक्ष का नेता कौन है 2021 , वर्तमान लोकसभा सदस्य संख्या , लोकसभा अध्यक्ष , लोकसभा अध्यक्ष कौन है ,

भारत की संसद लोकसभा

भारत में लोक सभा का गठन :-
लोक सभा का गठन वयस्‍क मतदान के आधार पर प्रत्‍यक्ष चुनाव द्वारा चुने गए जनता के प्रतिनिधियों से होता है। सभा के सदस्‍यों की अधिकतम संख्‍या 552 है जैसा कि संविधान में उल्‍लेख किया गया है जिसमें 530 सदस्‍य राज्‍यों का, 20 सदस्‍य संघ राज्‍य क्षेत्रों का प्रतिनिधित्‍व करते हैं और महामहिम राष्‍ट्रपति महोदय, यदि ऐसा मानते हैं कि आंग्‍ल भारतीय समुदाय को सभा में उचित प्रतिनिधित्‍व नहीं मिला है तो उस समुदाय से अधिकतम दो सदस्‍यों को नामित करते हैं। कुल निर्वाचित सदस्‍यता राज्‍यों में इस प्रकार वितरित की गई है कि प्रत्‍येक राज्‍य को आबंटित सीटों की संख्‍या और उस राज्‍य की जनसंख्‍या के मध्‍य अनुपात, जहाँ तक व्‍यवहार्य हो, सभी राज्‍यों के लिए समान रहे।

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भारत में लोक सभा का सचिवालय :-
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भारत में लोक सभा की सीटों की संख्या :-
राज्यों के अनुसार सीटों की संख्या
भारत के प्रत्येक राज्य को उसकी जनसंख्या के आधार पर लोकसभा-सदस्य मिलते है। वर्तमान मे यह 1971 की जनसंख्या पर आधारित है। अगली बार लोकसभा के सदस्यों की संख्या वर्ष 2026 मे निर्धारित किया जायेगा। इससे पहले प्रत्येक दशक की जनगणना के आधार पर सदस्य स्थान निर्धारित होते थे। यह कार्य बकायदा 84वें संविधान संशोधन(2001) से किया गया था ताकि राज्य अपनी आबादी के आधार पर ज्यादा से ज्यादा स्थान प्राप्त करने का प्रयास नही करें।
वर्तमान परिपेक्ष्य में राज्यों की जनसंख्या के अनुसार वितरित सीटों की संख्या के अनुसार उत्तर भारत का प्रतिनिधित्व, दक्षिण भारत के मुकाबले काफी कम है। जहां दक्षिण के चार राज्यों, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और केरल को जिनकी संयुक्त जनसंख्या देश की जनसंख्या का सिर्फ 21% है, को 129 लोक सभा की सीटें आवंटित की गयी हैं जबकि, सबसे अधिक जनसंख्या वाले हिन्दी भाषी राज्य उत्तर प्रदेश और बिहार जिनकी संयुक्त जनसंख्या देश की जनसंख्या का 25.1% है के खाते में सिर्फ 120 सीटें ही आती हैं। वर्तमान में अध्यक्ष और आंग्ल-भारतीय समुदाय के दो मनोनीत सदस्यों को मिलाकर, सदन की सदस्य संख्या 545 है।

भारत में लोक सभा का कार्यकाल:-
यदि समय से पहले भंग ना किया जाये तो, लोक सभा का कार्यकाल अपनी पहली बैठक से लेकर अगले पाँच वर्ष तक होता है उसके बाद यह स्वत: भंग हो जाती है। लोक सभा के कार्यकाल के दौरान यदि आपातकाल की घोषणा की जाती है तो संसद को इसका कार्यकाल कानून के द्वारा एक समय में अधिकतम एक वर्ष तक बढ़ाने का अधिकार है, जबकि आपातकाल की घोषणा समाप्त होने की स्थिति में इसे किसी भी परिस्थिति में छ: महीने से अधिक नहीं बढ़ाया जा सकता।

भारत में लोकसभा के पदाधिकारी :-
लोकसभा अपने निर्वाचित सदस्यों में से एक सदस्य को अपने अध्यक्ष (स्पीकर) के रूप में चुनती है। कार्य संचालन में अध्यक्ष की सहायता उपाध्यक्ष द्वारा की जाती है, जिसका चुनाव भी लोक सभा के निर्वाचित सदस्य करते हैं। लोक सभा में कार्य संचालन का उत्तरदायित्व अध्यक्ष का होता है।वर्तमान मे लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला है।

भारत में लोकसभा अध्यक्ष के कार्य है :-
1) लोकसभा की अध्यक्षता करना एवं उस में अनुसाशन, गरिमा तथा प्रतिष्टा बनाये रखना। इस कार्य हेतु वह किसी न्यायालय के सामने उत्तरदायी नहीं होता है।
2) वह लोकसभा से संलग्न सचिवालय का प्रशासनिक अध्यक्ष होता है किंतु इस भूमिका के रूप में वह न्यायालय के समक्ष उत्तरदायी होगा।

भारत में लोक सभा की विशेष शक्तियाँ :-
1) दोनो सदनों का सम्मिलित सत्र बुलाने पर स्पीकर ही उसका अध्यक्ष होगा। उसके अनुउपस्थित होने पर उपस्पीकर तथा उसके भी न होने पर राज्यसभा का उपसभापति अथवा सत्र द्वारा नांमाकित कोई भी सदस्य सत्र का अध्यक्ष होता है
2) धन बिल का निर्धारण स्पीकर करता है। यदि धन बिल पे स्पीकर साक्ष्यांकित नहीं करता तो उस बिल को धन बिल नहीं माना जायेगा। स्पीकर का निर्णय अंतिम तथा बाध्यकारी होता है।
3) सभी संसदीय समितियाँ उसकी अधीनता में काम करती हैं। उसके किसी समिति का सदस्य चुने जाने पर वह उसका पदेन अध्यक्ष होगा
4) लोकसभा के विघटन होने पर भी स्पीकर पद पर कार्य करता रहता है। नवीन लोकसभा के चुने जाने पर ही वह अपना पद छोड़ता है।

भारत में लोकसभा के सत्र :-
संविधान के अनुच्छेद 85 के अनुसार संसद सदैव इस तरह से आयोजित की जाती रहेगी कि संसद के दो सत्रॉ के मध्य 6 मास से अधिक अंतर न हो। पंरपरानुसार संसद तीन नियमित सत्रों तथा विशेष सत्रों मे आयोजित की जाती है। सत्रों का आयोजन राष्ट्रपति की विज्ञप्ति से होता है।

भारत में संविधान संशोधन विधेयक :-
अनु 368 के अंतर्गत प्रस्तावित बिल जो कि संविधान के एक या अधिक प्रस्तावॉ को संशोधित करना चाहता है संशोधन बिल कहलाता है यह किसी भी संसद सदन मे बिना राष्ट्रपति की स्वीकृति के लाया जा सकता है इस विधेयक को सदन द्वारा कुल उपस्थित सदस्यॉ की 2/3 संख्या तथा सदन के कुल बहुमत द्वारा ही पास किया जायेगा दूसरा सदन भी इसे इसी प्रकार पारित करेगा किंतु इस विधेयक को सदनॉ के पृथक सम्मेलन मे पारित किया जायेगा गतिरोध आने की दशा मे जैसा कि सामान्य विधेयक की स्थिति मे होता है सदनॉ की संयुक्त बैठक नही बुलायी जायेगी 24 वे संविधान संशोधन 1971 के बाद से यह अनिवार्य कर दिया गया है कि राष्ट्रपति इस बिल को अपनी स्वीकृति दे।

भारत में लोकसभा अध्यक्ष :-
भारत में संसदीय प्रणाली अपनाने के कारण निम्न सदन लोकसभा को राजनीतिक व्यवस्था में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त होता है |
इसी कारण लोकसभा अध्यक्ष को पद सूची के वरीयता क्रम में स्थान प्राप्त है |
हमारे यहां लोकसभा स्पीकर को लगभग वही शक्तियां प्राप्त हैं जो ब्रिटेन के हाउस ऑफ कॉमंस के स्पीकर को|
परंतु जहां बिट्रिश हाउस ऑफ कॉमन स्पीकर निर्दलीय व्यक्ति होता है वही भारत में स्पीकर अपनी दलीय सदस्यता का त्याग नहीं करता है इसके बावजूद वह निष्पक्ष कार्य करता है |
लोकसभा में उसके आचरण पर हटाने के मूल प्रस्ताव के अतिरिक्त चर्चा नहीं की जा सकती |

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