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Ganesh Shankar Vidyarthi Puraskar
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गणेश शंकर विद्यार्थी पुरस्कार क्या है :-
गणेश शंकर विद्यार्थी पुरस्कार ‘गणेश शंकर विद्यार्थी पुरस्कार’ पुरस्कार हिंदी पत्रकारिता और रचनात्मक साहित्य के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य तथा विशिष्ट योगदान करने वालों को मिलता है। गणेश शंकर विद्यार्थी पुरस्कार को प्राप्त करने वाले विद्वानों को भारत के राष्ट्रपति द्वारा स्वयं यह सम्मान प्रदान किया जाता है।
गणेशशंकर विद्यार्थी आजीवन धार्मिक कट्टरता और उन्माद के खिलाफ आवाज उठाते रहे. यही धार्मिक उन्माद उनकी जिंदगी लील गया. प्रसिद्ध साहित्यकार अमृतलाल नागर ने गणेशशंकर विद्यार्थी की मृत्यु के बाद कहा था, ‘वे अपने ही घर में शहीद हो गए.’ विद्यार्थी अपने ही घर यानी उत्तर प्रदेश के कानपुर में अपने ही लोगों के बीच दंगे के दौरान धार्मिक उन्माद का शिकार बने थे |
गणेश शंकर विद्यार्थी पुरस्कार हिन्दी पत्रकारिता :-
गणेश शंकर विद्यार्थी पुरस्कार हिन्दी पत्रकारिता तथा रचनात्मक साहित्य के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य के लिए दिया जाता है। यह पुरस्कार केंद्रीय हिन्दी संस्थान, आगरा द्वारा दिया जाता है। इस पुरस्कार प्राप्त विद्वानों को राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित किया जाता है। विजेताओं को एक-एक लाख रुपए, एक शॉल और प्रशस्तिपत्र प्रदान किया जाता है। केंद्रीय हिन्दी संस्थान आगरा ने वर्ष 1989 में ‘हिन्दी सेवी सम्मान योजना’ की शुरुआत की थी।
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गणेश शंकर विद्यार्थी दंगे रोकते-रोकते हुई थी मौत :-
1931 का वक्त था. सारे कानपुर में दंगे हो रहे थे. मजहब पर लड़ने वालों के खिलाफ जिंदगी भर गणेश शंकर विद्यार्थी लड़ते रहे थे, वही मार-काट उनके आस-पास हो रही थी. लोग मजहब के नाम पर एक-दूसरे को मार रहे थे. ऐसे मौके पर गणेश शंकर विद्यार्थी से रहा न गया और वो निकल पड़े दंगे रोकने. कई जगह पर तो वो कामयाब रहे पर कुछ देर में ही वो दंगाइयों की एक टुकड़ी में फंस गए |
ये दंगाई उन्हें पहचानते नहीं थे इसके बाद विद्यार्थी जी की बहुत खोज हुई, पर वो मिले नहीं. आखिर में उनकी लाश एक अस्पताल की लाशों के ढेर में पड़ी हुई मिली. लाश इतनी फूल गई थी कि उसको लोग पहचान भी नहीं पा रहे थे. 29 मार्च को उनको अंतिम विदाई दी गई. उनकी इस तरह हुई मौत इस बात की गवाही देती है कि गणेश शंकर विद्यार्थी जितना अपनी कलम से एक्टिव थे उतना ही वो रियल लाइफ में भी एक्टिव थे |
गणेश शंकर विद्यार्थी हिंदू -मुस्लिम समुदाय शांत करने :-
23 मार्च, 1931 को भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को फांसी दिए जाने के बाद पूरे देश में सनसनी फैल गई थी कानपुर भी इससे बचा हुआ नहीं था इस घटना के ठीक तीसरे ही दिन यानी 25 मार्च को शहर में हिंदू -मुस्लिम समुदाय के बीच मनमुटाव ने एक बड़े दंगे का रूप ले लिया दोनों तरफ के लोग एक-दूसरे की जान लेने पर उतारू थे ऐसे माहौल में भी गणेशशंकर विद्यार्थी लोगों के उन्माद को शांत करने के लिए घर से निकल पड़े इस दौरान उन्होंने कई लोगों की जान बचाई लेकिन आखिर में उन्हें इन्हीं उन्मादी लोगों के हाथों अपनी जान गंवानी पड़ी |
गणेश शंकर विद्यार्थी निबंध :-
कर्मवीर महाराणा प्रताप / गणेशशंकर विद्यार्थी
देवी जोन / गणेशशंकर विद्यार्थी
महर्षि दादाभाई नौरोजी / गणेशशंकर विद्यार्थी
महात्मा प्रिंस क्रोपटकिन / गणेशशंकर विद्यार्थी
लेनिन / गणेशशंकर विद्यार्थी
कर्मवीर गांधी / गणेशशंकर विद्यार्थी
लोकमान्य की विजय / गणेशशंकर विद्यार्थी
वज्रपात (देशबंधु दास) / गणेशशंकर विद्यार्थी
गणेश शंकर विद्यार्थी पुरस्कार से सम्मानित प्रमुख पत्रकार :-
गणेश शंकर विद्यार्थी सम्मान समारोह समिति, इंदौर की ओर से उल्लेखनीय कार्य करने वाले 61 पत्रकारों को सम्मानित किया गया। इसमें वरिष्ठ पत्रकार कीर्ति राणा, शाशिन्द्र जलधारी, कमल हेतावत, चंद्रा बारगल, संजय जोशी, राजेश राठौर और दिलीप लोकरे सहित अन्य पत्रकार शामिल हैं। इसके अलावा, 30 वर्षों से अधिक समय से इलेक्ट्रॉनिक एवं प्रिंट मीडिया में सेवाएं देने वाले 21 वरिष्ठ पत्रकारों को लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से भी नवाज़ा गया।
स्वर्गीय गणेश शंकर विद्यार्थी की पुण्यतिथि के अवसर पर हर साल यह सम्मान समारोह आयोजित किया जाता है। बुधवार शाम को इंदौर में आयोजित कार्यक्रम के मुख्य अतिथि उद्योगपति एवं समाजसेवी महावीर प्रसाद मानसिंगका थे और अध्यक्षता पद्मश्री अभय छजलानी ने की। कार्यक्रम के सूत्रधार भूपेंद्र नामदेव ने बताया कि 2019 के गणेश शंकर विद्यार्थी पुरस्कारों के लिए शहर के 61 पत्रकारों को चुना गया। पुरस्कारों के लिए अलग-अलग कैटेगरी निर्धारित की गई थीं।
इनका हुआ सम्मान
सुमित ठक्कर, शेखर बागोरा, प्रदीप जोशी, अंकिता जोशी, हरिनायारण शर्मा, दीपक कदम, खलील खान, चंकी वाजपेयी, भारत पाटिल, प्रमोद दाभाड़े, शैलेन्द्र जोशी, विकास जायसवाल, पीयूष पारे, कमलेश्वर सिंह, जेपी लोवंशी, अरुण यादव, विकास सिंह, दिनेश ठाकुर, रोहित त्रिवेदी, केपी सिंह, अरुण यादव, प्रणय कामले, मनीष पराशर, धर्मेन्द्र सिंह चौहान, नवीन यादव, विनोद तिवारी, घनश्याम डोंगरे, गितेश दिवेदी, जितेंद्र व्यास, नीलेश राठौर, अयाज शेख, मोहित पांचाल, लोकेन्द्र धनवार, महेंद्र बागड़ी, मनीष यादव, नितेश पाल, रजनीश अग्रवाल, पिंटू नामदेव, राजेश, डोंगरे, बालकृष्ण मूले, हिना तिवारी, रीना शर्मा, श्रद्धा चौबे, करिश्मा कोतवाल, नासेरा मंसूरी, प्रियंका जैन देशपांडे, प्रवीण बरनाले, प्रदीप मिश्रा, अजय तिवारी, दीपक यादव, संजय बुआ, अभिषेक मिश्रा, मनीष, राजा वर्मा, वैशाली व्यास और धनश्याम।
गणेश शंकर विद्यार्थी आज़ादी के आंदोलन के समय :-
आज़ादी के आंदोलन के समय देशव्यापी क्रांतिकारी गतिविधियों को सक्रियता मुख्य रूप से हिंदी के समाचार पत्र-पत्रिकाओं से मिली. हिंदी पत्रकारिता में गणेश शंकर विद्यार्थी जैसी शख़्सियत ने अपने जोश भरे लेखन से क्रांतिकारी आंदोलन को जन आंदोलन से जोड़ने का काम किया |
युवाओं में व्याप्त निराशा को दूर कर उन्हें स्वतंत्रता आंदोलन के लिए प्रेरित किया. इसी मिशन के तहत पत्र-पत्रिकाओं और किताबों का प्रकाशन किया. लेखन किया |
एक तरह से लेखन को सामाजिक कर्म बनाया. उसे संवाद का माध्यम बनाया. पत्रकारिता के ज़रिये ऐसा सृजन किया कि पत्र-पत्रिकाएं आज़ादी के आंदोलन में कारगर हथियार बनीं |
विद्यार्थी व उनके संपादन में निकले साप्ताहिक ‘प्रताप’ पर बात करने से पहले उनकी पत्रकारिता की शुरुआती यात्रा पर संक्षिप्त बात करना ज़रूरी है कि आख़िर पत्रकारिता में उन्हें किन विभूतियों का सानिध्य मिला, जहां उनकी पत्रकारिता में निखार आया |
विद्यार्थी जी का इलाहाबाद काल उनके भावी व्यक्तित्व का अहम मोड़ साबित हुआ. पत्रकारिता व गंभीर लेखन का उनका सफ़र यही से प्रारंभ हुआ |
‘स्वराज’ अख़बार से उर्दू में लिखना शुरू किया कि इस बीच पंडित सुंदरलाल के सानिध्य में वह हिंदी की ओर आकृष्ट हुए |
एक लेखक और पत्रकार के रूप में उनकी विधिवत शुरुआत 2 नवंबर 1911 से आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी द्वारा संपादित ‘सरस्वती’ पत्रिका से होती है |
गणेशशंकर विद्यार्थी का हिंदू राष्ट्र को खारिज :-
मैं हिन्दू-मुसलमान झगड़े की मूल वजह चुनाव को समझता हूं. चुने जाने के बाद आदमी देश और जनता के काम का नहीं रहता.’
देश की मौजूदा राजनीतिक परिस्थितियों को देखते हुए लग सकता है कि यह बात किसी ने इन्हीं दिनों कही होगी. लेकिन सच्चाई यह है कि विख्यात पत्रकार गणेशशंकर विद्यार्थी ने ये शब्द 1925 में ही लिख दिए थे. कांग्रेस के टिकट पर एक चुनाव में जीतने के बाद मशहूर लेखक और संपादक बनारसी दास चतुर्वेदी को लिखे पत्र में उन्होंने राजनीतिक माहौल पर गुस्सा जाहिर करते हुए यह बात लिखी थी
गणेश शंकर विद्यार्थी मानहानि के केस में 7 महीने तक जेल में रहे :-
गणेश शंकर विद्यार्थी वैसे तो अपनी पूरी जिंदगी में 5 बार जेल गए. पर जब वो 1922 के आखिरी बार जेल में थे तो उन्हें लिखने के लिए वहां पर एक डायरी मिली थी. इस बार उन्हें जेल हुई थी मानहानि के केस में. विद्यार्थी जी ने जनवरी, 1921 में अपने अखबार में एक रिपोर्ट छापी थी. रायबरेली के एक ताल्लुकदार सरदार वीरपाल सिंह के खिलाफ. वीरपाल ने किसानों पर गोली चलावाई थी और उसका पूरा ब्यौरा प्रताप में छापा गया था. इसलिए प्रताप के संपादक गणेश शंकर विद्यार्थी और छापने वाले शिवनारायण मिश्र पर मानहानि का मुकदमा हो गया. ये मुकदमा लड़ने में उनके 30m हजार रुपये खर्च हो गए
गणेश शंकर विद्यार्थी की मौत :-
महान क्रांतिकारी और पत्रकार गणेश शंकर विद्यार्थी की। विद्यार्थी को कानपुर शहर में सांप्रदायिक दंगों की वजह से 25 मार्च 1931 को अपने प्राण गवाने पड़े थे। लेकिन केवल दंगा ही उनकी मौत का कारण नहीं था।
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गणेश शंकर विद्यार्थी पुरस्कार से सम्मानित विद्वानों की सूची :-
क्रम सम्मानित विद्वान क्रम सम्मानित विद्वान
वर्ष 1989
1. श्री धर्मवीर भारती 4. डॉ एन.वी. कृष्ण वारियर
2. श्री बालशौरि रेड्डी 5. श्री मुनींद्र
3. श्री के. एस. बालकृष्ण पिल्लै
वर्ष 1990
1. श्री युद्धवीर 2. श्री पारसनाथ सिंह
वर्ष 1991
1. श्री अक्षय कुमार जैन 2. श्री जगदीश प्रसार चतुर्वेदी
वर्ष 1992
1. श्री मायाराम सुरजन 2. श्री पी.जी. वासुदेव
वर्ष 1993
1. श्री नारायण दत्त 2. श्री हिंमाशु जोशी
वर्ष 1994
1. श्री कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर 2. श्री यदुनाथ थत्ते
वर्ष 1995
1. डॉ. लक्ष्मीशंकर व्यास 2. श्री रतनलाल जोशी
वर्ष 1996
1. श्री गणेश मंत्री 2. श्री राजेंद्र शंकर भट्ट
वर्ष 1997
1. श्रीमती आशारानी व्होरा 2. श्री सूर्यकांत बाली
वर्ष 1998
1. श्री कर्पूर चंद्र कुलिश 2. डॉ राधेश्याम शर्मा
वर्ष 1999
1. श्री अच्युतानन्द मिश्र 2. श्री नर्मदा प्रसाद त्रिपाठी
वर्ष 2000
1. श्री पी.एस. चंद्रशेखर ‘चाँद’ 2. श्री हरिमोहन मालवीय
वर्ष 2001
1. श्री बालेश्वर अग्रवाल 2. श्री शिवकुमार गोयल
वर्ष 2002
1. श्री ईश्वर चंद्र सिन्हा 3. श्री सत्यपाल पटाईत
2. श्री एम. चंद्रशेखरन
वर्ष 2003
1. श्री ओम थानवी 2. श्री पंकज बिष्ट
वर्ष 2004
1. श्री मोहनदास नैमिशरण्य 3. सुश्री मणिमाला
2. श्री राजकिशोर
वर्ष 2005
1. श्री भरत डोगरा 2. श्री रमेश उपाध्याय
वर्ष 2006
1. श्री शरद दत्त 2. श्रीमती रमणिक गुप्ता
वर्ष 2007
1. श्री आलोक मेहता 2. डॉ. अमरनाथ अमर एवं श्री कमाल खान (संयुक्त रूप में)
वर्ष 2008
1. श्री पंकज पचौरी 2. श्री विनोद अग्निहोत्री
वर्ष 2009
1. श्री ब्रजमोहन बख़्शी 2. श्री बलराम
वर्ष 2010
1. श्री रवीश कुमार 2. श्री दिलीप चौबे
वर्ष 2011
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