डॉ॰ जॉर्ज ग्रियर्सन पुरस्कार

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डॉ॰ जॉर्ज ग्रियर्सन पुरस्कार क्या है :-
‘डॉ. जॉर्ज ग्रियर्सन पुरस्कार’ केंद्रीय हिंदी संस्थान द्वारा जॉर्ज ग्रियर्सन की स्मृति में प्रदान किया जाता है, जिन्होंने भारत की भाषाओं और बोलियों का विस्तार से वर्णन प्रस्तुत किया था। इस पुरस्कार को प्रदान करने का शुभारम्भ 1994 से किया गया था। यह पुरस्कार प्राय: किसी जाने-माने विदेशी व्यक्ति को उसकी उल्लेखनीय हिंदी सेवाओं के लिए प्रदान किया जाता है। प्रतिवर्ष एक व्यक्ति को इस पुरस्कार के लिए चुना जाता है।
डॉ॰ जॉर्ज ग्रियर्सन पुरस्कार केन्द्री हिन्दी संस्थान द्वारा किसी जाने माने विदेशी को उसकी हिन्दी सेवाओं के लिए प्रदान किया जाता है। इसे 1994 में प्रारंभ किया गया था। अभी तक इसे प्राप्त करनेवाले प्रमुख हिन्दी विद्वान इस प्रकार हैं ,

डॉ॰ जॉर्ज ग्रियर्सन पुरस्कार का इतिहास :-
भारत (आधिकारिक नाम: भारत गणराज्य, Republic of India) दक्षिण एशिया में स्थित भारतीय उपमहाद्वीप का सबसे बड़ा देश है। पूर्ण रूप से उत्तरी गोलार्ध में स्थित भारत, भौगोलिक दृष्टि से विश्व में सातवाँ सबसे बड़ा और जनसंख्या के दृष्टिकोण से दूसरा सबसे बड़ा देश है। भारत के पश्चिम में पाकिस्तान, उत्तर-पूर्व में चीन, नेपाल और भूटान, पूर्व में बांग्लादेश और म्यान्मार स्थित हैं। हिन्द महासागर में इसके दक्षिण पश्चिम में मालदीव, दक्षिण में श्रीलंका और दक्षिण-पूर्व में इंडोनेशिया से भारत की सामुद्रिक सीमा लगती है। इसके उत्तर की भौतिक सीमा हिमालय पर्वत से और दक्षिण में हिन्द महासागर से लगी हुई है। पूर्व में बंगाल की खाड़ी है तथा पश्चिम में अरब सागर हैं। प्राचीन सिन्धु घाटी सभ्यता, व्यापार मार्गों और बड़े-बड़े साम्राज्यों का विकास-स्थान रहे भारतीय उपमहाद्वीप को इसके सांस्कृतिक और आर्थिक सफलता के लंबे इतिहास के लिये जाना जाता रहा है। चार प्रमुख संप्रदायों: हिंदू, बौद्ध, जैन और सिख धर्मों का यहां उदय हुआ, पारसी, यहूदी, ईसाई, और मुस्लिम धर्म प्रथम सहस्राब्दी में यहां पहुचे और यहां की विविध संस्कृति को नया रूप दिया। क्रमिक विजयों के परिणामस्वरूप ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कंपनी ने 18 वीं और 19 वीं सदी में भारत के ज़्यादतर हिस्सों को अपने राज्य में मिला लिया। 1857 के विफल विद्रोह के बाद भारत के प्रशासन का भार ब्रिटिश सरकार ने अपने ऊपर ले लिया। ब्रिटिश भारत के रूप में ब्रिटिश साम्राज्य के प्रमुख अंग भारत ने महात्मा गांधी के नेतृत्व में एक लम्बे और मुख्य रूप से अहिंसक स्वतन्त्रता संग्राम के बाद 15 अगस्त 1947 को आज़ादी पाई। 1950 में लागू हुए नये संविधान में इसे सार्वजनिक वयस्क मताधिकार के आधार पर स्थापित संवैधानिक लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित कर दिया गया और युनाईटेड किंगडम की तर्ज़ पर वेस्टमिंस्टर शैली की संसदीय सरकार स्थापित की गयी। एक संघीय राष्ट्र, भारत को 29 राज्यों और 7 संघ शासित प्रदेशों में गठित किया गया है। लम्बे समय तक समाजवादी आर्थिक नीतियों का पालन करने के बाद 1991 के पश्चात् भारत ने उदारीकरण और वैश्वीकरण की नयी नीतियों के आधार पर सार्थक आर्थिक और सामाजिक प्रगति की है। 33 लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल के साथ भारत भौगोलिक क्षेत्रफल के आधार पर विश्व का सातवाँ सबसे बड़ा राष्ट्र है। वर्तमान में भारतीय अर्थव्यवस्था क्रय शक्ति समता के आधार पर विश्व की तीसरी और मानक मूल्यों के आधार पर विश्व की दसवीं सबसे बडी अर्थव्यवस्था है। 1991 के बाज़ार-आधारित सुधारों के बाद भारत विश्व की सबसे तेज़ विकसित होती बड़ी अर्थ-व्यवस्थाओं में से एक हो गया है और इसे एक नव-औद्योगिकृत राष्ट्र माना जाता है। परंतु भारत के सामने अभी भी गरीबी, भ्रष्टाचार, कुपोषण, अपर्याप्त सार्वजनिक स्वास्थ्य-सेवा और आतंकवाद की चुनौतियां हैं। आज भारत एक विविध, बहुभाषी, और बहु-जातीय समाज है और भारतीय सेना एक क्षेत्रीय शक्ति है।
पुरस्कृत हिन्‍दी सेवियों में सर्वश्री आरएफ नीरलकुट्टी, फिल्मकार व लेखक जान्हु बरुआ, पत्रकार रवीश कुमार, साहित्यकार वेद राही व प्रो. असगर वजाहत, विश्लेषक व टिप्पणीकार प्रो. सुधीश पचौरी के साथ-साथ उत्तर कोरिया तथा उजबेकिस्तान मे हिन्‍दी की पताका फहराने वाले दो विदेशी हिन्‍दी विद्वानो- प्रो. उ.जी. किम, प्रो. शमतोफ़ आज़ाद और वतन से दूर देश में हिन्‍दी को बढ़ावा दे रहे साहित्यकार तेजेन्दर शर्मा शामिल हैं।

राष्टपति द्वारा डॉ॰ जॉर्ज ग्रियर्सन पुरस्कार :-
राष्ट्रगान के साथ शुरू हुए इस समारोह मे राष्ट्रपति ने वर्ष 2010-11 के लिए ये पुरस्कार प्रदान किए। समारोह की अध्यक्षता केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्री श्रीमती स्मृति ईरानी ने की। समारोह में माहौल उस वक्त भावुक हो गया, जबकि व्हील चेयर पर समारोह में पुरस्कार ग्रहण करने आए जाने- माने हिन्‍दी साहित्यकार डॉ. एसए सूर्यनारायण वर्मा को राष्ट्रपति ने अपने आसन से नीचे उतरकर पुरस्कार प्रदान किया, समारोह के बाद प्रो. किम ने ‘वीएनआई’ के साथ बातचीत में कहा कि कोरिया उनका देश है, लेकिन भारत से उनका पिछले 35 वर्षों से एक खास रिश्ता बना है। यह पुरस्कार पाना उनके लिए गौरव है, मैंने हिन्‍दी प्रेम की वजह से ही हिन्‍दी मे काम करना शुरू किया था। भारत द्वारा इन प्रयासों के लिए सम्मानित किए जाने से बहुत अच्छा लगा। किम पिछले तीन दशकों से कोरिया की हन्गुक विदेशी अध्ययन में हिन्‍दी का अध्यापन कर रही हैं।

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डॉ॰ जॉर्ज ग्रियर्सन पुरस्कार में किया दिया जाता है :-
हिन्‍दी साहित्य में पीएचडी करने वाली किम ने कोरिया मे हिन्‍दी प्रचार प्रसार के अनेक केन्द्र शुरू किए, भारत तथा दक्षिण कोरिया के बीच और प्रगाढ़ रिश्तों की कामना करने वाली किम इस समारोह में अपने देश के ध्वज के नीले रंग तथा भारत के तिरंगे ध्वज के केसरिया रंग वाली दोरंगी पोशाक पहनकर आई थीं। उन्होंने कहा कि काफी सोच विचारकर यह दो रंगी पोशाक उन्होंने इस समारोह के लिए दोनों देशों के बीच सद्‍भाव प्रतीक के तौर पर बनवाई।
सम्मानित दूसरे विदेशी विद्वान उज़्बेकिस्तान के प्रो. शमतोफ़ आज़ाद का भी कहना था कि हिन्‍दी उन्हें शुरू से प्रिय रही है। मेरा भारत के साथ रिश्ता बहुत घनिष्ठ, बहुत आत्मीय है। दोनों विद्वानों को डॉ. जॉर्ज ग्रियर्सन पुरस्कार से सम्मानित किया गया जो कि विदेशी मूल के विद्वान को विदेशों में हिन्‍दी प्रचार प्रसार के लिए दिया जाता है। प्रो. आज़ाद हिन्‍दी के अलावा पंजाबी, उर्दू, फ़ारसी, उज़्बेकी, रूसी, अंग्रेजी के भी अच्छे जानकार हैं और इन सब में मौलिक लेखन करते रहे हैं, विशेष तौर पर दक्खिनी हिन्‍दी पर उनके शोध चर्चा के विषय रहे हैं। खास तौर पर इसलिए कि एक उज़्बेक़ी ‘दक्खिनी’ भाषा का इतना गूढ़ अध्ययन करे।
भारतीय मूल के विद्वान को विदेशों में हिन्‍दी प्रचार प्रसार में उल्लेखनीय योगदान के लिए डॉ. मोटूरि सत्यनरायण पुरस्कार इंगलैंड में रहकर हिन्‍दी साहित्य साधना में रत तेजेंदर शर्मा तथा हिन्‍दी तथा रूसी साहित्य के सेतु निर्माताओं में से एक प्रो. मदन लाल मधु को उनके विशिष्ट योगदान के लिए मरणोपरांत दिय गया। उनका पुरस्कार उनके पुत्र राजा ने ग्रहण किया। मधु का पिछले माह ही निधन हो गया था।

डॉ॰ जॉर्ज ग्रियर्सन पुरस्कार की घोषण :-
जागरण संवाददाता, आगरा केंद्रीय ¨हदी संस्थान ने अखिल भारतीय ¨हदी सेवी सम्मान योजना 2016 के पुरस्कारों के लिए के ¨हदी जगत में उल्लेखनीय कार्य करने वालों के नामों की घोषणा शुक्रवार को कर दी है। पुरस्कारों के लिए कुल 26 नाम घोषित किए गए हैं। इनमें सूबे के सात लोगों के नाम शामिल हैं। राष्ट्रपति इन 26 लोगों को विभिन्न पुरस्कारों के साथ ही पांच-पांच लाख रुपये के सम्मान से भी नवाजेंगे।

डॉ॰ जॉर्ज ग्रियर्सन पुरस्कार किस क्षेत्र में दिया जात्ता है :-
केंद्रीय ¨हदी संस्थान के निदेशक प्रो.नंदकिशोर पांडेय ने प्रेसवार्ता में बताया कि ¨हदी प्रचार व ¨हदी प्रशिक्षण के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने के लिए जम्मू-कश्मीर के डॉ.भारतभूषण शर्मा, महाराष्ट्र के डॉ.सूर्यनारायण रणसुभे, उड़ीसा के डॉ.अजय कुमार पटनायक, तेलंगाना के डॉ.पी माणिक्यांबा का चयन किया है। इन्हें गंगाशरण सिंह पुरस्कार मिलेगा। ¨हदी पत्रकारिता और जनसंचार के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य के लिए दिल्ली की शीला झुनझुनवाला और रोहित सरदाना को गणेश शंकर विद्यार्थी पुरस्कार मिलेगा। विज्ञान व चिकित्सा विज्ञान व अभियांत्रिकी के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य के लिए राजस्थान के प्रो.बनवारीलाल गौड़ और यूपी के वन विभाग के अफसर महेंद्र प्रताप सिंह को आत्माराम पुरस्कार दिया जाएगा। सर्जनात्मक व आलोचनात्मक क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य के लिए मध्यप्रदेश के प्रो.त्रिभुवननाथ शुक्ल और कैलाश चंद्र पंत को सुब्रहमण्य भारती पुरस्कार मिलेगा। जबकि ¨हदी माध्यम से ज्ञान के विविध क्षेत्र, पर्यटन और पर्यावरण से संबंधित क्षेत्र में मौलिक अनुसंधान के लिए गुजरात के प्रो.दयाशंकर शुक्ल और कें¨हसं के पूर्व निदेशक प्रो.महावीर सरन जैन को महापंडित राहुल सांकृत्यायन पुरस्कार मिलेगा। विदेशी ¨हदी विद्वान को विदेशों में ¨हदी के प्रचार-प्रसार व लेखन में उल्लेखनीय कार्य के लिए मॉरीशस के सत्यदेव टेंगर और चीन के प्रो.जियांग जिंग ख्वे को डॉ.जॉर्ज ग्रियर्सन पुरस्कार दिया जाएगा। आप्रवासी भारतीय विद्वान को विदेशों में ¨हदी के प्रचार-प्रसार व लेखन में उल्लेखनीय कार्य के लिए यूएसए के देवेंद्र सिंह और यूके की उषा राजे को पद्मभूषण डॉ.माटूरि सत्यनारायण पुरस्कार दिया जाएगा। कृषि विज्ञान और राष्ट्रीय एकता के क्षेत्र में उल्लेखनीय लेखन कार्य के लिए बीएचयू के कृषि विज्ञान संकाय के पूर्व अध्यक्ष प्रो.रमेश चंद्र तिवारी और हिमाचल प्रदेश के प्रो.कुलदीप चंद अग्निहोत्री को सरदार बल्लभ भाई पटेल पुरस्कार दिया जाएगा। मानविकी और कला, संस्कृति व विचार की भारतीय चिंतन परंपरा के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य के लिए दिल्ली स्थित ¨हदी अकादमी के पूर्व अध्यक्ष डॉ.रामशरण गौड़ और राजस्थान के डॉ.बद्री प्रसाद पंचोली को दीनदयाल उपाध्याय पुरस्कार दिया जाएगा।

डॉ. जॉर्ज ग्रियर्सन पुरस्कार से सम्मानित विद्वानों की सूची :-
डॉ॰ जॉर्ज ग्रियर्सन पुरस्कार केन्द्री हिन्दी संस्थान द्वारा किसी जाने माने विदेशी को उसकी हिन्दी सेवाओं के लिए प्रदान किया जाता है। इसे 1994 में प्रारंभ किया गया था। अभी तक इसे प्राप्त करनेवाले प्रमुख हिन्दी विद्वान इस प्रकार हैं |
क्रम वर्ष सम्मानित विद्वान
1. 1994 डॉ. लोठार लुत्स
2. 1995 डॉ. मारिया क्षिश्तोफ बृस्की
3. 1996 डॉ. ओदोलेन स्मेकल
4. 1997 डॉ. रुपर्ट स्नेल
5. 1998 श्री अभिमन्यु अनत
6. 1999 प्रो. पी. ए. बाशननी्कोव
7. 2000 प्रो. जिन दिंग हान (चीन)
8. 2001 श्री नरेश भारतीय
9. 2001 डॉ. तोमियो मिजोकामी
10. 2002 मारिया नेज्यैशी
11. 2003 श्री तोशियो तनाका
12. 2004 डॉ. रोनाल्ड स्टुअर्ट मैक्ग्रेगर
13. 2005 डॉ. इन्द्रा दसनायक
14. 2006 प्रो. मारिओला ओफ्रेदी
15. 2007 प्रो. दानूता स्ताशिक (पौलैंड)
16. 2008 डॉ. हरमन वान ओल्फ़न (सं.रा. अमरीका)
17. 2009 प्रो. ली जंग हो (दक्षिण कोरिया)
18. 2010 डॉ. शमतोफ़ आज़ाद (उज़बेकिस्तान)
19. 2011 डॉ. उ जो किम (दक्षिण कोरिया) |

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