भारत के उद्योग , लघु उद्योगों की सूची

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भारत के प्रमुख उद्योग लौह-इस्पात, जलयान निर्माण, मोटर वाहन, साइकिल, सूतीवस्त्र, ऊनी वस्त्र, रेशमी वस्त्र, वायुयान, उर्वरक, दवाएं एवं औषधियां, रेलवे इंजन, रेल के डिब्बे, जूट, काग़ज़, चीनी, सीमेण्ट, मत्स्ययन, चमड़ा उद्योग, शीशा, भारी एवं हल्के रासायनिक उद्योग तथा रबड़ उद्योग हैं।

विनिर्माण उद्योग :- प्राचीन काल से ही विभिन्न प्रकार के प्राकृतिक संसाधनों की सम्पन्नता के कारण देश की गणना विश्व के प्रमुख औद्योगिक क्षेत्रों में की जाती थी। इतना अवश्य था कि उस समय की उत्कृष्ट वस्तुओं का निर्माण भी कुटीर उद्योगों के स्तर पर ही किया जाता था सूती एवं रेशमी वस्त्र, लौह – इस्पात उद्योग एवं अन्य धातुओं से निर्मित वस्तुएं विदेशों में भी प्रसिद्धि प्राप्त कर चुकी थी। भारत में औद्योगिक विकास का प्रारम्भ अंग्रेज़ों के आगमन के पश्चात् ही हुआ और स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद इसमें अभूतपूर्व प्रगति हुई है। आब भारत औद्योगिक विकास के मार्ग पर अग्रसर है। भारत के प्रमुख निर्माण उद्योगों एवं उनकी अवस्थिति पर कच्चे मालों, भौतिक एवं मानवीय दशाओं आदि का पर्याप्त प्रभाव पड़ा है और भारत में ही अधिकांश उत्पादों का बज़ार भी उपलब्ध है। संचार एवं परिवहन के साधन भी भारत की औद्योगिक प्रगति में पर्याप्त सहयोग प्रदान कर रहे हैं।
1.) लौह इस्पात उद्योग
2.) ऐलुमिनियम उद्योग
3.) सूती वस्त्र उद्योग
4.) जूट उद्योग
5.) चीनी उद्योग
6.) काग़ज़ उद्योग
7.) सीमेंट उद्योग
8.) उर्वरक उद्योग
9.) अभियांत्रिकी उद्योग

अरुणाचल प्रदेश के उद्योग :- अरुणाचल प्रदेश की विशाल खनिज संपदा के संरक्षण के लिए 1991 में ‘अरुणाचल प्रदेश खनिज विकास’ और ‘व्यापार निगम लिमिटेड’ (ए. पी. एम. डी. टी. सी. एल.) की स्थापना की गई थी।

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आंध्र प्रदेश के उद्योग :- हैदराबाद और विशाखापत्तनम के पास बड़े उद्योगों में मशीनी औज़ार, औषाधियाँ, भारी बिजली मशीनें, उर्वरक, इलेक्ट्रॉंनिक उपकरण, विमानों के कलपुर्जे, सीमेंट और रसायन, कांच तथा घडियों आदि का उत्पादन होता है।

ओडिशा के उद्योग :- उद्योग प्रोत्साहन एवं निवेश निगम लि.औद्योगिक विकास निगम लिमिटेड और उड़ीसा राज्य इलेक्ट्रॉनिक्स विकास निगम ये तीन प्रमुख एजेंसियां राज्य के उद्योगों को आर्थिक सहायता प्रदान करती है। इस्पात, एल्यूमीनियम, तेलशोधन, उर्वरक आदि विशाल उद्योग लग रहे हैं। राज्य सरकार लघु, ग्रामीण और कुटीर उद्योगों को प्रोत्साहित करने के लिए छूट देकर वित्तीय मदद दे रही है। 2004 – 2005 वर्ष में 83,075 लघु उद्योग इकाई स्थापित की गयी।

केरल के उद्योग :- केरल में औद्योगिक विकास की अपार संभावनाएं है। यहाँ पर पनबिजली, घने वन, दुर्लभ खनिज, परिवहन और अच्छी संचार प्रणाली, सभी बुनियादी सुविधाएं उपलब्‍ध हैं। यहाँ के परंपरागत उद्योग हैं- हथकरघा, काजू, नारियल जटा तथा हस्‍तशिल्‍प। अन्‍य महत्‍वपूर्ण उद्योगों में रबड, चाय, चीनी मिट्टी के बर्तन, बिजली तथा इलेक्‍ट्रॉनिक उपकरण, टेलीफ़ोन के तार, ट्रांसफार्मर, ईंट और टाइल्स, औषधियां और रसायन, सामान्‍य इंजीनियरी वस्‍तुएं, प्‍लाईवुड, रंगरोगन, बीड़ी और सिगार, साबुन, तेल, उर्वरक तथा खादी और ग्रामोद्योग उत्‍पाद शामिल हैं।

गुजरात के उद्योग :- गुजरात राज्य के औद्योगिक ढांचे में धीरे-धीरे विविधता आती जा रही है। यहाँ रसायन, पेट्रो-रसायन, उर्वरक, इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रॉनिक्स आदि उद्योगों का विकास रहा है, 2004 के अंत में राज्य में पंजीकृत फैक्टरियों की संख्या 21,536 (अस्थाई) थी जिनमें औसतन 9.27 लाख दैनिक मज़दूरों को रोज़गार मिला हुआ था, मार्च, 2005 तक राज्य में 2.99 लाख लघु औद्योगिक इकाइयों का पंजीकरण हो चुका था।

गोवा के उद्योग :- गोवा में मत्स्य उद्योग महत्त्वपूर्ण है, सरकारी नीतियों व रियायतों ने औद्योगिक क्षेत्र के ज़रिये गोवा के तीव्र औद्योगिकीकरण को बढ़ावा दिया है। उर्वरक, रसायन, दवा, लोहा और चीनी उद्योग यहाँ के बड़े उद्योग हैं। यहाँ पर मध्यम व लघु उद्योग भी हैं, जिनमें पारम्परिक हस्तशिल्प उद्योग भी शामिल हैं। औद्योगिक उत्पादों का भारत व विदेश में अच्छा बाज़ार है।

छत्तीसगढ़ के उद्योग :- छत्तीसगढ़ में वन, खनिज और भूजल जैसे प्राकृतिक संसाधनों का असीम भंडार है।
पिछले कुछ वर्षो से राज्य में उद्योगों का विस्तार हो रहा है, छत्तीसगढ़ में देश का लगभग 15 प्रतिशत इस्पात तैयार होता है।

जम्मू और कश्मीर के उद्योग :- हस्‍त‍शिल्‍प जम्मू और कश्मीर का परपंरागत उद्योग है। हाथ से बनी वस्‍तुओं की व्‍यापक रोज़गार क्षमता और विशेषज्ञता को देखते हुए राज्‍य सरकार ह‍स्‍तशिल्‍प को उच्‍च प्राथमिकता दे रही है। कश्मीर के प्रमुख हस्‍तशिल्‍प उत्‍पादों में काग़ज़ की लुगदी से बनी वस्‍तुएं, लकड़ी पर नक़्क़ाशी, कालीन, शॉल और कशीदाकारी का सामान आदि शामिल हैं। हस्‍तशिल्‍प उद्योग से काफ़ी मात्रा में विदेशी मुद्रा अर्जित होती है। हस्‍तशिल्‍प उद्योग में 3.40 लाख कामगार लगे हुए हैं।

झारखण्ड के उद्योग :- सार्वजनिक क्षेत्र का बोकारो स्टील प्लांट, जमशेदपुर में निजी क्षेत्र की टाटा आयरन एंड स्टील कंपनी (टिस्को), अन्य प्रमुख उद्योग हैं: टाटा इंजीनियरिंग एंड लोकोमोटिव कंपनी (टेल्को), टिमकेन इंडिया लिमिटेड (जमशेदपुर), भारत कुकिंग लिमिटेड (धनबाद),

तमिलनाडु के उद्योग :- तमिलनाडु राज्‍य के प्रमुख उद्योग हैं – सूती कपडा, भारी वाणिज्यिक वाहन, ऑटो कलपुर्जे, रेल के डिब्‍बे, विद्युतचालित पंप, चमडा उद्योग, सीमेंट, चीनी, काग़ज़, ऑटोमोबाइल और माचिस। तमिलनाडु के औद्योगिक परिदृश्‍य में सूचना प्रौद्योगिकी और जैव प्रौद्योगिकी जैसे ज्ञान आधारित उद्योगों को विशेष महत्‍व दिया गया है। सॉफ्टवेयर टेक्‍नोलॉजी पार्क, टाइडैल की स्‍थापना थारामणि, चेन्नई में की गई है।

नागालैंड के उद्योग :- नागालैंड राज्‍य में औद्योगिकरण की प्रक्रिया शैशवावस्‍था में है, दीमापुर में एक लाख ईंटें प्रतिदिन उत्‍पादित करने की क्षमता वाली ‘नागालैंड मैकेनाइज्‍ड ब्रिक्‍स कंपनी लि.’ प्रारम्भ कर दी गई है।

पश्चिम बंगाल के उद्योग :- पश्चिम बंगाल में वर्ष 2007 में, उपलब्‍ध आंकड़ों के अनुसार 3677.51 करोड़ रुपए की निवेश वाली 96 परियोजनाएं शुरू की गईं। इसके अतिरिक्त हलदिया पेट्रो केमिकल्‍स की 34 अधोगामी परियोजनाओं में 160.15 करोड़ रु. का निवेश किया गया है और इस प्रकार कुल निवेश 3837.66 करोड़ रु. हो गया है। यह अपेक्षित है कि 150 यूनिट की कुल संख्‍या के साथ 4014.84 करोड़ रु. का कुल निवेश 2007 के अंत तक राज्‍य में कार्यान्वित किया जाएगा और कार्यान्वित परियोजनाओं की पूरी जानकारी उपलब्‍ध होगी।

मणिपुर के उद्योग :- मणिपुर में कृषि के बाद सबसे अधिक रोज़गार देने वाला कुटीर उद्योग हथकरघा उद्योग है, यह उद्योग आय का एक महत्त्वपूर्ण स्रोत है विशेषकर महिला बुनकरों के लिए यह आदर्श है। हरथकरघा बुनाई का पारंपरिक कौशल महिलाओं के लिए प्रतिष्‍ठा का प्रतीक है।

दिल्ली के उद्योग :- दिल्ली न केवल उत्तर भारत का सबसे बड़ा व्‍यावसायिक केंद्र है, बल्कि यह लघु उद्योगों का भी सबसे बड़ा केंद्र है, इनमें टेलीविज़न, टेपरिकार्डर, हल्‍का इंजीनियरिंग साज-सामान, मशीनें, मोटरगाडियों के हिस्‍से पुर्ज़े, खेलकूद का सामान, साइकिलें, पी.वी.सी. से बनी वस्‍तुएं जूते-चप्‍पल, कपड़ा, उर्वरक, दवाएं, हौजरी का सामान, चमड़े की वस्‍तुएं, सॉफ्टवेयर आदि विभिन्‍न वस्‍तुएं बनाई जाती हैं।

राजस्थान के उद्योग :- राजस्थान सांस्कृतिक रूप में समृद्ध होने के साथ-साथ खनिजों के मामले में भी समृद्ध रहा है और अब वह देश के औद्योगिक परिदृश्य में भी तेजी से उभर रहा है, राज्य के प्रमुख केंद्रीय प्रतिष्ठानों में देबरी (उदयपुर) में जस्ता गलाने का संयंत्र, खेतडी (झुंझनूं) में तांबा परियोजना और कोटा में सूक्ष्म उपकरणों का कारख़ाना शामिल है, मार्च, 2006 तक राज्य में लघु उद्योगों की 2,75,400 इकाइयां थी। जिनमें 4,336.70 करोड़ रुपये की पूँजी लगी थी और लगभग 10.55 लाख लोगों को रोज़गार मिला हुआ था।

पंजाब के उद्योग :- पंजाब में विभिन्न लघु व मध्यम आकार के उद्योग हैं, भारत के मुख्य राज्यों में से पंजाब में प्रति व्यक्ति आय सबसे अधिक है, यहाँ सूती,,ऊनी और रेशमी वस्त्र उद्योग, खाद्य उत्पाद, धातु उत्पादन, परिवहन उपकरण व पुर्जे, धातु व मिश्र धातु उद्योगों में सबसे ज़्यादा श्रमिक कार्यरत हैं।

हरियाणा के उद्योग :- हरियाणा का औद्योगिक क्षेत्र बहुत ही विस्तृत और विशाल है। राज्य में 1,343 बड़ी और 80,000 लघु उद्योग इकाइयां कार्यरत हैं। हरियाणा में बहुत सी वस्तुओं का उत्पादन होता है। कार, ट्रैक्टर, मोटरसाइकिल, साइकिल, रेफ्रिजरेटर, वैज्ञानिक उपकरण आदि अनेक प्रकार के उत्पादकों का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य हरियाणा है। विश्व बाज़ार में बासमती चावल का सबसे बड़ा निर्यातक हरियाणा है।

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