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अशोक चक्र अवॉर्ड
अशोक चक्र अवॉर्ड क्या है :-
सम्राट अशोक के बहुत से शिलालेखों पर प्रायः एक चक्र (पहिया) बना हुआ है। इसे अशोक चक्र कहते हैं। यह चक्र धर्मचक्र का प्रतीक है। उदाहरण के लिये सारनाथ स्थित सिंह-चतुर्मुख (लॉयन कपिटल) एवं अशोक स्तम्भ पर अशोक चक्र विद्यमान है। भारत के राष्ट्रीय ध्वज में अशोक चक्र को स्थान दिया गया है।
अशोक चक्र में चौबीस तीलियाँ (स्पोक्स्) हैं वे मनुष्य के अविद्या से दु:ख बारह तीलियां और दु:ख से निर्वाण बारह तीलियां (बुद्धत्व अर्थात अरहंत) की अवस्थाओं का प्रतिक है।
अशोक चक्र (पदक) भारत का शांति के समय का सबसे ऊँचा वीरता सम्मान है। यह सम्मान सैनिकों और असैनिकों को असाधारण वीरता, शूरता या बलिदान के लिए दिया जाता है। यह मरणोपरान्त भी दिया जा सकता है। अशोक चक्र गैर युद्ध प्रसंग में वीरता के लिए सैनिकों और आम नागरिकों, सबके लिए है। इस पुरस्कार को श्रेष्ठता के तीन स्तरों पर दिया जाता है। वर्ष 1960 से, सेना पदक देने का क्रम शुरू किया गया। यह पदक थलसेना, वायुसेना, नौसेना तीनों के लिए अलग-अलग देना सुनिश्चित किया गया।
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अशोक चक्र अवॉर्ड का इतिहास :-
अशोक चक्र, सम्राट अशोक के समय से शिल्प कलाओ के माध्यम से अंकित किया गया था। धर्म-चक्र का अर्थ भगवन बुद्ध ने अपने अनेक प्रवचनों में अविद्या से दू:ख तक बारह अवस्थाये और दू:ख से निर्वाण (जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्ति) की बारह अवस्थाये बताई है।
अशोक चक्र (पदक) सम्मान सेना के जवान, आम नागरिक को जीवित या मरणोपरांत दिया जाता है। स्वतंत्रता के बाद से अब तक 67 लोगों को अशोक चक्र सम्मान दिए गए हैं। इस सम्मान की स्थापना 04 जनवरी 1952 को हुई। तब इसका नाम ‘अशोक चक्र, वर्ग-1’ था। सन् 1967 में इस सम्मान से वर्ग की शर्त का हटा दिया गया और इसके तीन सम्मान घोषित किए गए। इनका नामकरण ‘अशोक चक्र’, ‘कीर्ति चक्र’ और ‘शौर्य चक्र’ किया गया। 01 फरवरी 1999 से केंद्र सरकार ने अशोक चक्र के लिए 1400 रुपए का मासिक भत्ता निर्धारित किया।
अशोक चक्र अवार्ड किस क्षेत्र में दिया जाता है :-
जम्मू कश्मीर के पुलवामा जिले में सीआरपीएफ जवानों पर हमले के बाद देश भर से लोग शहीदों की मदद के लिए कुछ न कुछ सहयोग करने के लिए आगे आ रहे हैं, लेकिन गुजरात सरकार द्वारा वीरता पुरस्कार विजेता को दी जाने वाली रकम चौंकाने वाली है.
अहमदाबाद मिरर की रिपोर्ट के अनुसार, गुजरात सरकार ने 39 वीरता पुरस्कार विजेताओं पर महज दो लाख चार हजार रुपये खर्च किये हैं. अशोक चक्र विजेता को गुजरात सरकार महज 20 हजार का इनाम देती है, जबकि हरियाणा सरकार सर्वाधिक एक करोड़ रुपये का इनाम देती है |
राज्य के गृह मंत्रालय के अंतर्गत काम करने वाले सैनिक कल्याण और पुनर्वास विभाग की वेबसाइट पर मौजूद आंकड़ों के अनुसार, परमवीर चक्र विजेता को महज 22,500 रुपये दिए जाते हैं |
आंकड़ों के अनुसार, गुजरात सरकार अशोक चक्र विजेता को 20 हजार रुपये, सर्वोत्तम युद्ध सेवा मेडल विजेता को 17 हजार रुपये, कीर्ति चक्र विजेता को 12 हजार रुपये, उत्तम युद्ध सेवा मेडल विजेता को 10 हजार रुपये, वीर चक्र विजेता को 7 हजार रुपये, शौर्य चक्र विजेता को 5 हजार रुपये, तो वहीं युद्ध सेवा मेडल विजेता को महज 4 हजार रुपये इनाम देती है.
आंकड़ें बताते हैं कि गुजरात में एक अशोक चक्र, दो महावीर चक्र, दो कीर्ति चक्र, पांच वीर चक्र, चार शौर्य चक्र और 25 अन्य वीरता पुरस्कार प्राप्त दिए गए हैं. इन सभी पुरस्कारों पर गुजरात सरकार ने महज दो लाख चार हजार रुपये ख़र्च किये हैं |
शहीद मेजर ऋषिकेश रमानी के पिता वल्लभभाई रमानी को मरणोपरांत सेना मेडल के लिए 2009 में महज 3 हजार रुपये का चेक दिया गया था. उनका कहना है, ‘मुझे 3 हजार रुपये का चेक दिया जा रहा था, लेकिन हमने वो लेने से इंकार कर दिया. गुजरात सरकार जो पैसा देती है उसके मुकाबले अन्य राज्य कहीं ज्यादा पैसे देते हैं |
केंद्र सरकार द्वारा जारी निर्देश के तहत वीरता पुरस्कार पाने वाले लोगों को राज्य सरकार को अपनी तरफ से कुछ इनाम राशि देनी होगी, लेकिन कितना देना है इस पर कोई भी निर्देश नहीं है और राज्य सरकारें इनाम राशि तय करने के लिए स्वतंत्र हैं |
बहुत सारे राज्य हैं, जो नकद इनाम राशि की जगह जमीन और पेंशन देते हैं. गुजरात के अलावा अरुणाचल, पश्चिम बंगाल, पंजाब, ओडिशा और मणिपुर भी बेहद कम इनाम राशि देते हैं |
अशोक चक्र पाने वाले को हरियाणा सरकार एक करोड़ रुपये इनाम राशि के रूप में देती है, जो देश में सबसे अधिक है. वहीं उत्तर प्रदेश 32 लाख, पंजाब 30 लाख, मध्य प्रदेश 20 लाख, राजस्थान 18 लाख, मिज़ोरम 15 लाख, तमिल नाडु 12 लाख, आंध्र प्रदेश 10 लाख देता है.
वहीं असम, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, दिल्ली, गोवा, हिमाचल प्रदेश, केरला और उत्तराखंड में अशोक चक्र विजेता को 25 लाख की इनामी राशि दी जाती है |
अशोक चक्र की पुरस्कार राशि :-
स्थापना वर्ष 1952
पुरस्कार राशि 1400 रुपए का मासिक भत्ता
प्रथम विजेता सुहास बिस्वास, बचित्तर सिंह, नरबहादुर थापा (1952)
वर्ष 2019 के विजेता लांस नायक नजीर अहमद वानी
विवरण अशोक चक्र भारत का शांति के समय का सबसे ऊँचा वीरता का पदक है।
अशोक चक्र (पदक) 2019 :-
इस बार गणतंत्र दिवस के मौके पर आतंक का रास्ता छोड़कर देश की सेना में भर्ती होकर शहीद होने वाले जम्मू-कश्मीर के लांस नायक को मरणोपरांत सेना के सर्वोच्च सम्मान अशोक चक्र से सम्मानित किया गया है। वानी की मां राजा वानी और पत्नी महजबीन ने यह सम्मान प्राप्त किया। यह सम्मान उन्हें ऐसे समय पर दिया जा रहा है, जब बारामूला को घाटी का पहला आतंक मुक्त जिला घोषित किया गया है। जम्मू-कश्मीर की कुलगाम तहसील के अश्मूजी गांव के रहने वाले नज़ीर एक समय खुद आतंकवादी थे। वानी जैसों के लिए कश्मीर में ‘इख्वान’ शब्द इस्तेमाल किया जाता है।
अशोक चक्र के विजेता :-
शहीद गरुड़ कमांडो जेपी निराला को शांतिकाल के सबसे बड़े वीरता पुरस्कार अशोक चक्र से सम्मानित करते हुए राष्ट्रपति कोविंद भी भावुक नजर आए। निराला को यह सम्मान मरणोपरांत दिया गया जिसे उनकी पत्नी ने 26 जनवरी को राष्ट्रपति के हाथों सम्मान प्राप्त किया।
भारतीय वायुसेना के इतिहास में यह पहला मौका है जब किसी गरुड़ कमांडो को सर्वोच्च वीरता पुरस्कार अशोक चक्र से नवाजा गया है। शहीद ज्योति प्रकाश निराला तीन महीने पहले ही आतंकियों के खिलाफ एक अभियान में कश्मीर के हाजिन में स्पेशल ड्यूटी पर तैनात थे।
आतंकियों से हुए एक मुठभेड़ में निराला ने अपनी जान की परवाह किए बेगैर दो टॉप आतंकियों को मार गिराया था जिसमें एक आतंकी आतंकी मसूद अजहर का भतीजा तल्हा रशीद भी था। शहीद निराला ने दो अन्य आतंकियों को घायल भी किया था। इस अभियान में कुल 6 आतकी मारे गए थे।
शहीद निराला बिहार के रोहतास के रहने वाले थे। वे साल 2005 में वायु सेना में शामिल हुए थे। जेपी निराला के परिवार में पत्नी, एक बेटी, उनकी बहनें और माता-पिता हैं।
अशोक चक्र अवॉर्ड में क्या दिया जाता है :-
अशोक चक्र शांति के समय (पीस टाइम) का सबसे ऊंचा वीरता का पदक है यह सम्मान सैनिकों और असैनिकों को असाधारण वीरता, शूरता या बलिदान के लिए दिया जाता है यह चक्र राष्ट्रपति द्वारा प्रदान किया जाता है पहले इसे अशोक चक्र क्लास-वन कहते थे
मेडल गोलाकार, दोनों तरफ रिमों के साथ 1.38 इंच का व्यास और स्वर्ण-कलई का होता है इसके केंद्र में अशोक चक्र की प्रतिकृति उत्कीर्ण होगी और जिसके चारों ओर कमल-माला है इसके पिछले भाग पर हिंदी और अंग्रेजी दोनों में ‘अशोक चक्र’ शब्द होते हैं
फीता नारंगी खड़ी लाइन द्वारा दो बराबर भागों में विभाजित हरे रंग का फीता |
अशोक चक्र अवॉर्ड का महत्व :-
चक्र प्रतीक है गति का,उद्योग का, विकास का, विस्तार का। चक्र के जुड़ने से शकट रथ में बदल गए। शकट अर्थात चिकनी सतह (सड़क) पर खींचे जाने वाले छकड़े। और रथ जो कि दूर दूर तक राष्ट्र भर में पहुँच सके। इस प्रकार चक्र से समाज की प्रगति हुई। अशोक अर्थात शोक रहित। राम राज्य के लिए तुलसी दास लिखते हैं । रामराज बैठे त्रैलोका, हर्षित भए गए सब सोका। इस प्रकार अशोक चक्र का अर्थ हुआ शोक रहित विकास या प्रगति। अशोक स्तम्भ को धर्मचक्र सहित भारत सरकार ने भी अपना राजकीय चिह्न स्वीकार किया है। जिसकी 24 तालियाँ भी चौबीस घंटे अनवरत गति और प्रगति की प्रतीक हैं । इसी के नाम पर शान्ति के समय वीरता के लिए दिया जाने वाले पुरस्कार का नाम भी रखा गया है ।
अशोक चक्र अवार्ड के विजेता की लिस्ट :-
वर्ष सम्मानित व्यक्ति का नाम
2019 लांस नायक नजीर अहमद वानी
2017 ज्योति प्रकाश निराला
2016 हवलदार हंगपन दादा
2015 मोहन गोस्वामी
2014 मुकुंद वरदराजन
2014 नीरज कुमार सिंह
2013 लालकृष्ण प्रसाद बाबू
2012 नवदीप सिंह
2011 लैशराम ज्योतिन सिंह
2010 राजेश कुमार
2010 डी. श्रीराम कुमार
2009 मोहित शर्मा
2009 बहादुर सिंह बोहरा
2009 हेमंत करकरे
2009 विजय सालस्कर
2009 अशोक कामटे
2009 तुकाराम ओम्बले
2009 गजेंद्र सिंह बिष्ट
2009 संदीप उन्नीकृष्णन
2009 मोहन चंद शर्मा
2009 जोजन थॉमस
2009 आर. पी. डिएन्ग्दोह
2009 प्रमोद कुमार सतपथी
2008 दिनेश रघु रमन
2007 राधाकृष्णन ने नायर हर्षन
2007 चुन्नी लाल
2007 वसंत वेणुगोपाल
2004 त्रिवेणी सिंह
2004 संजोग छेत्री
2002 सुरिंदर सिंह
2002 रामबीर सिंह तोमर
2001 कमलेश कुमारी
2000 सुधीर कुमार वालिया
1997 पुनीत नाथ दत्त
1997 शांति स्वरूप राणा
1996 अर्जुन सिंह जसरोतिया
1995 राजीव कुमार जून
1995 सुज्जन सिंह
1995 हर्ष उदय सिंह गौड़
1994 नीलकंतन जयचंद्रन नायर
1993 राकेश सिंह
1992 संदीप संखला
1991 रणधीर प्रसाद वर्मा
1987 नीरजा भनोट
1985 छेरिंग मोतुप
1985 निर्भय सिंह
1985 भवानी दत्त जोशी
1985 राम प्रकाश रोपेरिया
1985 जसबीर सिंह रैना
1985 भूकांत मिश्रा
1985 राकेश शर्मा
1984 गेन्नादी स्त्रेकलोव
1984 यूरी मल्यशेव
1981 साइरस अद्दी पीठावाला
1974 गुरुनाम सिंह
1972 उम्मेद सिंह मेहरा
1969 जस राम सिंह
1965 जिया लाल गुप्ता
1962 खरका बहादुर लिनिबु
1962 मैन बहादुर राय
1958 एरिक जेम्स टकर
1958 जैश बाजीराव सकपाल
1957 जे आर चिटनीस
1957 पी एम रमन
1957 जोगिंदर सिंह
1956 सुंदर सिंह
1952 सुहास बिस्वास
1952 बचित्तर सिंह
1952 नरबहादुर थापा
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