6 December से सम्बंधित भारत और विश्व की ऐतिहासिक व प्रमुख घटनायें
Point :- 5 December से सम्बंधित भारत और विश्व की ऐतिहासिक व प्रमुख घटनायें
A) ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार :-
6दिसंबर ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 340 वॉ (लीप वर्ष में 341 वॉ) दिन है। अर्ष में अभी और 25 दिन बाकी है।
6 December से सम्बंधित भारत और विश्व की ऐतिहासिक व प्रमुख घटनायें
B) 6 दिसंबर के महत्त्वपूर्ण अवसर एवं उत्सव :-
1) नागरिक सुरक्षा दिवस
2) होमगार्ड स्थापना दिवस
6 December से सम्बंधित भारत और विश्व की ऐतिहासिक व प्रमुख घटनायें
c) 6 दिसंबर को जन्मे व्यक्ति की सूची :-
1) 1732 – वॉरेन हेस्टिंग्स – ईस्ट इंडिया कंपनी के पहले गर्वनर जनरल।
2) 1896 – बृजलाल वियाणी – मध्य प्रदेश के प्रमुख सामाजिक और राजनीतिक कार्यकर्त्ता थे।
6 December से सम्बंधित भारत और विश्व की ऐतिहासिक व प्रमुख घटनायें
D) 6 दिसंबर को हुए निधन व्यक्ति की सूची :-
1) 2015 – डॉ. ब्रह्मदेव शर्मा – भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अधिकारी थे।
2) 2015 – राम मोहन – प्रसिद्ध भारतीय चरित्र अभिनेता।
3) 2009 – बीना राय – हिन्दी फ़िल्मों की प्रसिद्ध अभिनेत्री थीं।
4) 1956 – भीमराव आम्बेडकर, एक बहुजन राजनीतिक नेता और एक बौद्ध पुनरुत्थानवादी भी थे।
5) 1998 – मेजर होशियार सिंह, परमवीर चक्र सम्मानित भारतीय सैनिक।
6 December से सम्बंधित भारत और विश्व की ऐतिहासिक व प्रमुख घटनायें
E) 6 दिसंबर की महत्त्वपूर्ण घटनाएँ :-
1907 – भारत के स्वतंत्रता संग्राम से संबंधित डकैती की पहली घटना चिंगरीपोटा रेलवे स्टेशन पर हुई।
1917 – फिनलैंड ने रुस से स्वतंत्रता की घोषणा की।
1926 – फ़िराक़ गोरखपुरी अपने साहित्यिक जीवन के आरंभिक समय में ब्रिटिश सरकार के राजनीतिक बंदी बनाए गए थे।
1946 – हाेमगार्ड संगठन की स्थापना की गई।
1978 – यूरोपीय देश स्पेन में संविधान को अंगीकार किया गया।
1983 – इजरायल की राजधानी यरुशलम में एक बस धमाके में छह नागरिकों की मौत।
1990 – युद्ध टालने के प्रयासों के तहत इराक के राष्ट्रपति सद्दाम हुसैन ने इराक और कुवैत में बंधक बनाये गये सभी विदेशी बंधकों की रिहाई का आदेश दिया।
1992 – अयोध्या का विवादित बाबरी मस्जिद ढांचा गिराया गया। इसके फलस्वरूप हुई हिंसा में करीब 400 लोग मारे गये।
1997 – क्योटो (जापान) में अंतर्राष्ट्रीय जलवायु सम्मेलन प्रारम्भ।
1998 – बैंकॉक में 13वें एशियाई खेलों की शुरुआत, इटली को हराकर स्वीडन लगातार दूसरी बार डेविस कप विजेता बना।
ह्यूगो शावेज वेनेजुएला के राष्ट्रपति चुने गये।
1999 – इंडोनेशियाई जेल से 283 क़ैदी फ़रार।
2001 – अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान हथियार डालने पर सहमत।
2002 – स्पेन के कार्लोस मोया को ‘एटीपी यूरोपियन प्लेयर आफ़ द इयर’ ख़िताब दिया गया।
2007 – आस्ट्रेलिया के स्कूलों में अब सिक्ख छात्रों को कृपण साथ ले जाने और मुस्लिम छात्राओं को कक्षाओं में हिजाब पहनकर जाने की इजाजत मिली।
2008 – केन्द्रीय बैंक ने रेपो रेट और रिवर्स रेट में एक प्रतिशत की कटौती की। भारत व चीन की सेनाओं के बीच संयुक्त युद्धाभ्यास एक्सरसाइज हैंड इन हैंड 2008 कर्नाटक के बेलगाँव में प्रारम्भ हुआ।
2012 – मिस्र में प्रदर्शन के दौरान सात लोग मारे गये और 770 घायल हुए।
6 December से सम्बंधित भारत और विश्व की ऐतिहासिक व प्रमुख घटनायें
F) 6 दिसंबर का देश और दुनिया के इतिहास में :-
इतिहास में 6 दिसंबर के दिन कई महत्वपूर्ण घटनाएं घटीं, जिसने दुनिया के इतिहास को बदल कर रख दिया
1) 1732 – ईस्ट इंडिया कंपनी के पहले गर्वनर जनरल वॉरेन हेस्टिंग्स का जन्म हुआ |
2) 1907 – भारत के स्वतंत्रता संग्राम से संबंधित डकैती की पहली घटना चिंगरीपोटा रेलवे स्टेशन पर हुई |
3) 1978 – स्पेन के नागरिकों ने 40 साल के तानाशाही शासन के बाद लोकतंत्र की स्थापना के लिए मतदान किया था |
4) 1992 – अयोध्या में स्थित बाबरी मस्जिद को उग्र हिंदू कारसेवकों ने गिरा दिया. इसके बाद भारत के कई राज्यों में दंगे भड़क गए |
G) 6 दिसंबर को अयोध्या का विशेष दिन :-
6 दिसंबर 1992 का दिन देश ही नहीं विश्व के इतिहास का सबसे काला दिन बन गया है। हजारों लोग आपस में लड़े-भिड़े, कत्लेआम हुए, उन घावों की टीस आज भी दिलों में उठती है। सिर्फ इतना ही नहीं आज-तक उस घटना से पैदा हुआ बेवजह का टकराव जारी है |
H) 6 दिसंबर काला दिन के रूप में :-
हजारों लोग आपस में लड़े-भिड़े, कत्लेआम हुए, उन घावों की टीस आज भी दिलों में उठती है। सिर्फ इतना ही नहीं आज-तक उस घटना से पैदा हुआ बेवजह का टकराव जारी है. कोई शौर्य दिवस मना रहा है, तो कोई कलंक दिवस, लेकिन जिन पर गुजरा उनसे पूछें वो.वो क्या मनाते हैं? कभी सोचा है?.आज उस अमानवीय घटना की बरसी है।
6 दिसंबर प्रशासन ने अयोध्या को बनाया अभेद्य दुर्ग, सुरक्षा बढ़ी |
गंगा-जमुनी तहजीब का संगम है अयोध्या, हिंदुओं के लिए रामलला तो मुस्लिमों के पैगंबरों, बौद्धों के धर्मगुरुओं और जैनियों के तीर्थकरों की कर्मभूमि भी यही है। अयोध्या को अपनों ने ही ऐसे घाव दिए जो नासूर बन गए और दर्द आज भी कायम हैं। ऐसा पहली बार नहीं हुआ था की देश में साम्प्रदायिक दंगे हुए। आजादी मिली तो दंगे, आजाद हुए तो दंगे। 1984 में दो सिक्खों की गलती की सजा पूरे सिक्ख समुदाय को भुगतनी पड़ी और देश में नरसंहार हुआ। अभी 84 के जख्म भरे भी नहीं थे कि 1992 में एक बार फिर हिन्दू-मुसलमान आमने-सामने थे। एक बार फिर धर्म की आग ने हजारों मासूमों की बलि ले ली। देश में ही नहीं पड़ोसी बांग्लादेश और पाकिस्तान में भी बेगुनाह हिन्दुओं का खून बहा।
अयोध्या में राम मूर्ति को लेकर संतों का विरोध शुरु, परमधर्म संसद से उठी आवाज
1528 पांच सौ वर्ष पहले अयोध्या में एक ऐसे स्थान पर मस्जिद का निर्माण किया गया जिसे हिंदू भगवान राम का जन्म स्थान मानते हैं। कहा जाता है कि मुग़ल सम्राट बाबर ने ये मस्जिद बनवाई थी। जिस कारण इसे बाबरी मस्जिद नाम दिया गया था।
1853 हिंदुओं का आरोप था कि राम मंदिर तोड़कर मस्जिद का निर्माण हुआ। इस मुद्दे पर हिंदुओं और मुसलमानों के बीच पहला दंगा हुआ।
1859 ब्रिटिश सरकार ने मामले की संवेदनशीलता को देख तारों की एक बाड़ खड़ी करके विवादित भूमि के आंतरिक और बाहरी परिसर में मुस्लिमों और हिदुओं को अलग-अलग प्रार्थनाओं की इजाजत दी।
1885 विवाद कोर्ट पहुंचा। महंत रघुबर दास ने फैजाबाद कोर्ट में बाबरी मस्जिद से लगे एक राम मंदिर के निर्माण की इजाजत के लिए अपील दायर की।
23 दिसंबर 1949 तक़रीबन 50 हिंदुओं ने मस्जिद में कथित तौर पर भगवान राम की मूर्ति रख नियमित पूजा आरम्भ कर दी। इसके बाद मुसलमानों ने वहां नमाज पढ़ना बंद कर दिया।
5 दिसंबर 1950 महंत परमहंस रामचंद्र दास ने पूजा पाठ जारी रखने और मस्जिद में राम की मूर्ति को रखने के लिए मुकदमा दायर किया। मस्जिद को यहीं से ‘ढांचा’ नाम मिला।
17 दिसंबर 1959 निर्मोही अखाड़ा ने विवादित स्थल हस्तांतरित करने के लिए मुकदमा दायर किया।
18 दिसंबर 1961 यूपी सुन्नी वक्फ बोर्ड ने बाबरी मस्जिद के मालिकाना हक के लिए मुकदमा दायर किया।
1984 विश्व हिंदू परिषद ने बाबरी मस्जिद के ताले खोलने और राम जन्मस्थान को स्वतंत्र कराने व मंदिर निर्माण के लिए अभियान आरंभ किया।
1 फरवरी 1986 फैजाबाद जिला न्यायाधीश ने विवादित स्थल पर हिदुओं को पूजा की इजाजत दी। ताले दोबारा खोले गए। इसपर नाराज मुस्लिमों ने विरोध में बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी का गठन किया।
11 नवंबर 1986 विश्व हिंदू परिषद ने विवादित मस्जिद के पास की ज़मीन पर गड्ढे खोदकर शिला पूजन किया।
1987 में यूपी की तत्कालीन सरकार ने इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में याचिका दायर की कि विवादित मस्जिद के मालिकाना हक़ के लिए ज़िला अदालत में चल रहे चार अलग अलग मुक़दमों को एक साथ जोड़कर एक साथ सुनवाई की जाए।
जून 1989 भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने विहिप को औपचारिक समर्थन दिया।
जुलाई, 1989 भगवान रामलला विराजमान नाम से पांचवा मुकदमा दाखिल किया गया।
9 नवम्बर 1989 तत्कालीन पीएम राजीव गांधी की सरकार ने बाबरी मस्जिद के नजदीक शिलान्यास की इजाजत दी।
25 सितम्बर 1990 बीजेपी अध्यक्ष लाल कृष्ण आडवाणी ने गुजरात के सोमनाथ से अयोध्या तक रथ यात्रा निकाली, जिसके बाद साम्प्रदायिक दंगे भड़क गए।
नवम्बर 1990 आडवाणी को बिहार के समस्तीपुर में गिरफ्तार कर लिया गया।
अक्टूबर 1991: यूपी में बीजेपी की सरकार थी, मुख्यमंत्री कल्याण सिंह सरकारी तौर पर बाबरी मस्जिद के आस-पास की 2.77 एकड़ भूमि को अधिकार में ले लिया।
6 दिसंबर 1992 देश भर से अयोध्या में पहुचें कारसेवकों ने बाबरी मस्जिद को ढाह दिया, जिसके बाद सांप्रदायिक दंगे हुए। जल्दबाजी में एक अस्थाई राम मंदिर बनाया गया। पीएम पी.वी. नरसिम्हा राव ने मस्जिद के पुनर्निर्माण का वादा किया।
16 दिसंबर 1992: जांच के लिए एम.एस. लिब्रहान आयोग का गठन।
जनवरी 2002 पीएम अटल बिहारी वाजपेयी ने अयोध्या विभाग शुरू किया, जिसका काम विवाद को सुलझाने के लिए हिंदुओं और मुसलमानों से बातचीत करना था।
अप्रैल 2002 अयोध्या के विवादित स्थल पर मालिकाना हक को लेकर उच्च न्यायालय के तीन जजों की बेंच ने सुनवाई शुरू की।
मार्च-अगस्त 2003 इलाहबाद हाई कोर्ट के निर्देशों पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने अयोध्या में खुदाई की। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण का दावा था कि मस्जिद के नीचे मंदिर के अवशेष होने के प्रमाण मिले हैं। मुस्लिमों में इसे लेकर अलग-अलग मत थे।
सितम्बर 2003 एक अदालत ने फैसला दिया कि मस्जिद के विध्वंस को उकसाने वाले सात हिंदू नेताओं को सुनवाई के लिए बुलाया जाए।
अक्टूबर 2004 आडवाणी ने अयोध्या में मंदिर निर्माण की भाजपा की प्रतिबद्धता दोहराई।
जुलाई 2005 संदिग्ध इस्लामी आतंकवादियों ने विस्फोटकों से भरी एक जीप का इस्तेमाल करते हुए विवादित स्थल पर हमला किया। सुरक्षा बलों ने पांच आतंकवादियों को मार गिराया।
जुलाई 2009 लिब्रहान आयोग ने गठन के 17 साल बाद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को अपनी रिपोर्ट सौंपी।
28 सितम्बर 2010 सुप्रीम कोर्ट ने इलाहबाद उच्च न्यायालय को विवादित मामले में फैसला देने से रोकने वाली याचिका खारिज करते हुए फैसले का मार्ग प्रशस्त किया।
30 सितम्बर 2010 इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया।
1992 विश्व हिंदू परिषद, शिव सेना और भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं ने 6 दिसंबर को बाबरी मस्जिद को ध्वस्त कर दिया। इसके परिणामस्वरूप देश भर में हिंदू और मुसलमानों के बीच सांप्रदायिक दंगे भड़क उठे जिसमें 2000 से ज़्यादा लोग मारे गए।
5 दिसंबर 1992 लाखों की संख्या में भीड़ इकट्ठा हो रही है। दूर दूर से लोग इसमें हिस्सा लेने अयोध्या पहुँच रहें हैं। कारसेवको का नारा बार-बार गूंज रहा है. मिट्टी नहीं सरकाएंगे, ढांचा तोड़ कर जाएंगे। ये तैयारी एक दिन पहले की गयी थी। कारसेवकों की भीड़ ने अगले दिन 12 बजे का वक्त तय किया कारसेवा शुरू करने का। सबके चेहरे पर जोश और एक जूनून देखा जा रहा था।
6 दिसंबर सुबह 11 बजे सुबह 11 बजते ही कारसेवकों के एक बड़ा जत्था सुरक्षा घेरा तोड़ने की कोशिश करता है, लेकिन उन्हें वापस पीछे धकेला दिया जाता है। तभी वहां नजर आतें हैं वीएचपी नेता अशोक सिंघल, कारसेवकों से घिरे हुए और वो उन्हें कुछ समझाते हैं। थोड़ी ही देर में उनके साथ बीजेपी के बड़े नेता मुरली मनोहर जोशी भी इन कारसेवकों से जुड़ जातें हैं। तभी भीड़ में एक और चेहरा नजर आता है लालकृष्ण आडवाणी का। सभी सुरक्षा घेरे के भीतर मौजूद हैं और लगातार बाबरी मस्जिद की तरफ कदम बढ़ा रहे हैं। कारसेवकों के नारे वातावरण में गूंज रहें हैं। सभी मंदिर के दरवाजे पर पहुंचतें हैं और मंदिर के दरवाजे को तोड़ने की कोशिश करतें हैं| पहली बार मस्जिद का बाहरी दरवाजा तोड़ने की कोशिश की जाती है लेकिन पुलिस इनके कोशिश को नाकाम करती है।
6 दिसंबर, घडी में दोपहर के 12 बज रहे थे एक शंखनाद पूरे इलाके में गूंज उठाता है। वहाँ सिर्फ कारसेवकों के नारों की आवाज गूंज रही है। कारसेवकों का एक बड़ा जत्था मस्जिद की दीवार पर चढ़ने लगा है। बाड़े में लगे गेट का ताला भी तोड़ दिया गया है। लाखों के भीड़ में कारसेवक मस्जिद में टूट पड़तें हैं और कुछ ही देर में मस्जिद को कब्जे में ले लेतें हैं। तभी इस वक्त तत्कालीन एसएसपी डीबी राय पुलिसवालों को मुकाबला करने के लिए कहतें हैं कोई उनकी बातें नहीं सुनता है। सबके दिमाग में एक ही सवाल उभरा कि क्या पुलिस ड्रामा कर रही हैं। या कारसेवकों के साथ हैं। पुलिस पूरी तरह समर्पण कर चुकी होती है। हाथों में कुदाल लिए और नारे लगते हुए कारसेवक तब तक मस्जिद गिराने का काम शुरू कर देतें हैं। एक दिन पहले की गई रिहर्सल काम आई और कुछ ही घंटों में बाबरी मस्जिद को पूरी तरह ढहा दिया गया।
1990 बैच की आईपीएस अधिकारी अंजु गुप्ता का बयान 1990 बैच की आईपीएस अधिकारी अंजु गुप्ता 6 दिसंबर 1992 को ढांचे के ध्वस्त होने के समय फैजाबाद जिले की असिस्टेंट एसपी थीं और उन्हें आडवाणी की सुरक्षा का जिम्मा दिया गया था। साल 2010 में आईपीएस अफसर अंजु गुप्ता ने कहा कि घटना के दिन आडवाणी ने मंच से बहुत ही भड़काऊ और उग्र भाषण दिया था। इसी भाषण को सुनने के बाद कार सेवक और उग्र हो गए थे। अंजु गुप्ता का कहना था कि वह भी मंच पर करीब 6 घंटे तक मौजूद थी, इसी 6 घंटे में विवादित ढांचे को ध्वस्त किया गया था लेकिन उस वक़्त मंच पर आडवाणी मौजूद नहीं थे।
6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद गिरा दी गई हजारों निर्दोष मारे गए। राजनीति में भी इसका असर देखने को मिला। इस घटना के बाद कल्याण सिंह की सरकार बर्खास्त कर राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया।
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