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अखंड भारत एकता आंदोलन
अखंड भारत अलगाव और एकता के विभ्रम :-
कार्लेस पुगदेमों स्पेन के कातालोनिया प्रांत के नए प्रेसिडेंट बने हैं। तो क्या हुआ? यक़ीनन, इसमें कोई ख़ास बात नहीं, सिवाय इसके कि कार्लेस भीषण अलगाववादी हैं और वे चाहते हैं कि स्कॉटलैंड रेफ़रेंडम की तर्ज पर कातालोनिया भी जल्द ही जनमत सर्वेक्षण की राह पर चले और बार्सीलोना एक नए राष्ट्र की राजधानी बने।
इसको थोड़ा पर्सपेक्टिव में समझते हैं। कातालोनिया की सबसे अच्छी फुटबॉल टीम का नाम है एफसी बार्सीलोना। शेष स्पेन की सबसे अच्छी टीम है रीयल मैड्रिड। जब भी इन दोनों टीमों के बीच मैच होते हैं तो वैसी ही कड़ी प्रतिस्पर्धा देखी जाती है, जैसी कि भारत-पाकिस्तान के क्रिकेट मैचों में होती है। रीयल-बार्सा टकरावों को एल क्लैसिको कहा जाता है और यह दुनिया का सबसे ज्यादा देखा जाने वाला स्पोर्टिंग इवेंट है। बार्सीलोना का पक्ष लेने वाले मैड्रिडियन को ‘देशद्रोही तक कह दिया जाता है एंड वाइसे वर्सा, जबकि वो एक ही देश है |
क्षेत्रीय और अलगाववादी आकांक्षाओं की यह एक बानगी भर है। हर यूके में एक स्कॉटलैंड है, हर भारत में एक कश्मीर। हर स्पेन में कातालोनिया है हर श्रीलंका में जाफ़ना। और हर यूनाइटेड स्टेओट्स में गृहयुद्धों का डीप साउथ बसा हुआ है |
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अखंड भारत बनाम भारत :-
दीनानाथ बत्रा एक बार फिर अपने हिन्दुत्ववादी एजेंडे को लेकर सुर्ख़ियों में हैं इस बार उनका अंदाज़ ओर ज्यादा मुखर क्योंकि आज सत्ता में उनकी विचारधारा कि सरकार है वे बड़े स्तर पर शिक्षा को अपनी संकुचित और सांप्रदायिक सोच से ग्रसित करना चाहते हैं। वे भारतीय संस्कृति के “मूल्यों’ के आधार पर अखंड भारत की तस्वीर बना रहे हैं। दीनानाथ बत्रा जोकि राष्ट्रिय स्वयं सेवक संघ से काफी लम्बे अरसे से जुडे हैं और शिक्षा बचाओ आन्दोलन समिति के जरिए काम कर रहे हैं, वे लगातार शिक्षा के मुद्दों पर काम करते रहे हैं और किताबों से लेकर व्यक्तिगत आचरण में भारतीय संस्कृति को लाने की मौलिक बात करते हैं। उनका मानना है कि स्कूल में बच्चों को अखंड भारत की तस्वीर बनानी चाहिए जिसमें भारत के अलावा पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, तिब्बत, बर्मा, भूटान आदि देश शामिल है। वे कहते हैं कि प्राचीन काल से भारतीय सस्कृति ने इन देशों को प्रभावित किया है और एक समय में ये सब देश अखंड भारत का हिस्सा थे और आज भी सांस्कृतिक दृष्टि से एक है और अगर कोशिश की जाय तो भविष्य में ये सारे देश अखंड भारत का हिस्सा बन सकते हैं।
बत्रा जी जब अखंड भारत या भारतीय संस्कृति की बात करते हैं तो ऐसा लगता है जैसे हमारे अलावा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कोई और संस्कृति नहीं है और हमें कोशिश करनी चाहिए कि हम इस “संस्कृति’ के ताने बाने में अपने आस-पास के सभी देशों को एक माला में पीरो लें। बत्रा जी की भारतीय संस्कृति का मतलब हिन्दू संस्कृति से है; यानी गाय को भोजन कराना, हवन-पाठ कराना, स्वदेशी कपडे पहनना, जन्मदिन पर केक न काटना आदि-आदि। इन्हें भारतीय संकृति कैसे कहा जा सकता है? यह सब तो एक ख़ास धर्म में अपनाई जाने वाली रीतियाँ हें इनका भारतीय संस्कृति से क्या लेना देना। शायद बत्रा जी को यह पता नहीं कि जब हम भारत की संस्कृति की बात करते हैं तो इसमें हिन्दूओं के अलावा मुस्लिम, इसाई, सिख, दलित व आदिवासी भी है। भारतीय संस्कृति मिलीजुली संस्कृति की धरोहर है ना कि किसी तथाकथित हिन्दू संस्कृति की जिसकी बात दीनानाथ बत्रा या आर.एस.एस. करती है।
अखंड भारत के लिए खड़ा होना :-
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की हस्तियों के बीच नरेन्द्र मोदी के उदय का और 1980 के दशक एवं 1990 के दशक की शुरुआत में भारतीय जनता पार्टी से उनके जुड़ने का स्वतंत्र भारत के इतिहास में एक बहुत कठिन समय के साथ मिलाप हुआ। संपूर्ण देश ने हर जगह विरोध का सामना किया और केंद्र इस विखंडन का साक्षी था किंतु असहाय था। विरोध पूरे पंजाब और असम में फैला था क्योंकि हमारी मातृभूमि की अखंडता और श्रेष्ठता को चुनौती दी जा रही थी। आंतरिक रूप से भी, विभाजक नीतियों ने देश पर शासन किया। गुजरात में ‘कर्फ्यू’ घर के शब्दकोश में सबसे आम शब्द बन गया। भाई को भाई के विरुद्ध, समुदाय को समुदाय के विरुद्ध भड़काया गया क्योंकि वोट-बैंक की राजनीति नियम बन गई।
लोकतंत्र और मुक्त स्वर के मूल्यों के लिए प्रतिबद्ध एक संगठित और सुदृढ़ भारत के सरदार पटेल के सपने को जीते हुए, एक व्यक्ति जो समय के साथ उभरा, वह श्री नरेन्द्र मोदी थे। उदास राष्ट्रीय परिदृश्य श्री नरेन्द्र मोदी में देशभक्ति को लाया, जिन्होंने अपना सर्वश्रेष्ठ दिया और आदर्शों की लड़ाई में आरएसएस और भाजपा के लिए कठोर परिश्रम किया। उन्होंने बहुत ही कम आयु से ही स्वयं को न केवल एक समर्पित कार्यकर्ता के रूप में बल्कि एक दक्ष आयोजक के रूप में स्थापित किया था। यह ठीक लग रहा था कि वह विपरीत परिस्थिति को चुनौती देते हुए समय का सामना करेंगे।
एकता यात्रा के दौरान श्री नरेन्द्र मोदी अहमदाबाद में :-
1980 के दशक के अंत तक देश का सबसे उत्तरी राज्य जम्मू और कश्मीर जिसे ‘पृथ्वी पर स्वर्ग’ के रूप में जाना जाता था, वह पूर्ण रूप से युद्ध का मैदान बन गया था। 1987 राज्य चुनावों के दौरान लोकतंत्र के कोलाहली समापन के साथ केंद्र की अवसरवादी नीति ने जम्मू और कश्मीर को भारत विरोधी गतिविधियों का गढ़ बना दिया। वो घाटी जिसे कभी पृथ्वी पर सबसे सुंदर स्थान कहा जाता था वह तेजी से युद्ध का मैदान बन रही थी क्योंकि सड़कों पर खून फैला था। मामले को इतने हल्के से लिया गया कि कश्मीर में तिरंगे को फहराना भी वर्जित हो गया था। कोई कार्रवाई करने के बजाय, केंद्र असहाय होकर देखती रही।
रुबैया सैयद, संघ के गृह मंत्री मुफ्ती मोहम्मद सैयद की पुत्री का 1989 में उन्हीं राष्ट्र विरोधी तत्वों द्वारा अपहरण कर लिया गया था। किंतु, कठोर कदम उठाने के बजाय, नई दिल्ली में सरकार ने भारत विरोधी भावनाओं के साथ प्रसिद्ध अलगाववादियों को शीघ्रता से छोड़ने के लिए आसान रास्ता अपनाया, जिससे ऐसे राष्ट्र विरोधी तत्वों को ढील मिली।
भाजपा भारत की श्रेष्ठता की इस बदनामी का मूक दर्शक नहीं बन सकी। यह एक कश्मीर दौरे की बात ही थी जब श्री श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने अपना जीवन त्याग दिया था और दशकों बाद, भाजपा को राष्ट्रीय एकता के कारण बोलने का मौका मिला। अप्रत्याशित स्थिति के प्रतिवाद के रूप में, तात्कालीन पार्टी अध्यक्ष डॉ। मुरली मनोहर जोशी ने राष्ट्रीय एकता की वकालत करने के लिए एक एकता यात्रा’ को प्रारंभ करने का निर्णय लिया। यात्रा कन्याकुमारी से प्रारंभ हुई वह स्थान जहाँ स्वामी विवेकानंद को जीवन का उद्देश्य मिला और श्रीनगर में लाल चौक पर तिरंगे के फहरने के साथ समाप्त हुई।
अखंड भारत के निर्माता वल्लभ भाई पटेल :-
खंडित सियासत को एक सूत्र में जोड़कर अखंड भारत का निर्माण करने वाले सरदार बल्लभ भाई पटेल की जयंती समारोह बेरमो कोयलांचल में जगह-जगह मनाई गई। इस क्रम में फुसरो नगर परिषद क्षेत्र के पटेल चौक में लोगों ने उनकी तस्वीर के समक्ष श्रद्धांजलि अर्पित की। यहां वक्ताओं ने कहा कि सरदार वल्लभ भाई पटेल ने भारत को एक भारत, अखंड भारत बनाया। यहां पटेल चौक का सौंदर्यीकरण कराने का निर्णय लिया गया। मौके पर भाजपा नेता चिंतामणी महतो, धनेश्वर महतो, कमलेश महतो, शिक्षक अर्जुन महतो, रविंद्र सिंह, पूर्व शिक्षक घनश्याम महतो, सेवा महतो, झामुमो नेता मदन महतो सहित राजेंद्र महतो, प्रेमचंद महतो, मो मुंशी, शकल दीप यादव, मो खलील, राजू गिरि, गणेश ठाकुर, शेरू अंसारी, प्रह्लाद सिंह, गोपाल गिरि, साइकिल महतो आदि मौजूद थे।
वहीं फुसरो पुराना बीडीओ आफिस स्थित दिव्यांग कल्याण समिति कार्यालय में सरदर पटेल की जयंती एवं पूर्व प्रधानमंत्री स्व. इंदिरा गांधी की पुण्य तिथि मनाई गई।
गोमिया प्रखंड कार्यालय में मनी लौह पुरुष की जयंती :-
गोमिया प्रखंड कार्यालय में लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल के जन्म दिवस पर राष्ट्रीय एकता दिवस मनाया गया। यहां बीडीओ मोनी कुमारी, सीओ ओमप्रकाश मंडल, सीआई सुरेश वर्णवाल, गोमिया भाजपा मंडल अध्यक्ष प्रवीण कुमार, प्रखंड बीस सूत्री अध्यक्ष राजकुमार प्रसाद आदि ने सरदार पटेल की तस्वीर पर पुष्प अर्पित किया। यहां बीडीओ मोनी कुमारी के नेतृत्व में सद्भावना एकता जुलूस का भी आयोजन किया गया। वक्ताओं ने कहा कि सरदार वल्लभ भाई पटेल दबे कुचले, मजदूरों एवं किसानों की आवाज थे। आजादी के आंदोलनों में मुख्य भूमिका निभाने के साथ ही वे उन सभी सामाजिक वर्गों का नेतृत्व कर रहे थे, जो आर्थिक व सामाजिक रूप से पिछड़े थे। उन्होंने कहा कि हमें भी सरदार पटेल के आदर्शों का अनुशरण कर उनके सपनों के भारत के निर्माण में योगदान देने की आवश्यकता है। मौके पर प्रेमलाल साव, रामजी प्रसाद भुनेश्वर महतो, त्रिभुवन प्रसाद, पवन कुमार, धनेश्वर साव, दीपक कुमार आदि उपस्थित थे।
विद्यार्थियों ने प्रभातफेरी निकाली :-
दुग्दा | राष्ट्रीय एकता दिवस पर डीएवी पब्लिक स्कूल दुग्दा के विद्यार्थियों ने प्रभातफेरी निकाली व राष्ट्रीय एकता की शपथ ली। एक भारत, श्रेष्ठ भारत की झांकी प्रस्तुत किया और छात्र-छात्राओं के बीच निबंध लेखन प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया। प्राचार्य अनिल कुमार सिन्हा ने कहा कि देश को अखंड बनाने में सरदार पटेल की भूमिका अहम है। देशी रियासतों को एकत्रित कर अखंड भारत का निर्माण किया था।
एसडीओ व एसडीपीओ ने दिलाई एकता व अखंडता की शपथ :-
बेरमो अनुमंडल कार्यालय कक्ष में बेरमो एसडीओ प्रेम रंजन एवं एसडीपीओ अंजनी अंजन की अगुवाई में सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती मनाई गई। इस दौरान उनके बताए रास्ते पर चलने का संकल्प लिया। उन्होंने शपथ लिया कि राष्ट्र की एकता, अखंडता और सुरक्षा को बनाए रखने के लिए स्वयं को समर्पित करूंगा और अपने देशवासियों के बीच यह संदेश फैलाने की कोशिश करूंगा। देश की आंतरिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अपना योगदान करने का भी सत्यनिष्ठा से संकल्प लिया। मौके पर पेटरवार बीडीओ इंदर कुमार, अधिवक्ता हरिशंकर प्रसाद, सुभाष कटरियार, शिवचरण राम, एनपी वर्मा, महेश्वर मांझी, समीर हांसदा, सुनीता सोरेन, उमेश मांझी, राहुल महतो, रविरंजन तिवारी, कुंदन एक्का, जितेन बनर्जी, संपत कुमार आदि थे।
अखंड भारत परशुराम यात्रा का स्वागत :-
विश्व ब्राम्हण महापरिषद और ब्रम्ह परशुराम अखाड़ा के संयुक्त तत्वाधान में निकाली अखंड भारत परशुराम यात्रा का जोरदार स्वागत किया गया। देश भर के ब्राम्हणों को एकता के सूत्र में पिरोने के उद्देश्य से पांच मार्च 2017 को राजस्थान के लोहागर्ल धाम झुंझुनू से निकली परशुराम यात्रा का रसड़ा पहुंचने पर ब्राम्हण समाज के सैकड़ों लोगों ने गांधी पार्क में इसका भव्य स्वागत किया गया।
23 राज्यों की यात्रा के बाद जनपद पहुंची इस यात्रा के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए यात्रा के नेतृत्वकत्र्ता आचार्य राजेश्वर महराज ने कहा कि यात्रा का उद्देश्य संपूर्ण भारत में निवास करने वाले ब्राम्हण बंधुओं को एकजूट करना और भगवान परशुराम के जीवन चरित्र व उपदेशों की जानकारी देना है। ताकि वर्तमान व भावी पीढि़ भगवान परशुराम के बारे में जान सके और उससे लाभांवित हो सके। सामाजिक सरोकार से संबंध रखने वाले ब्राह्मण समाज को भी वर्तमान परिस्थितियों में संगठित होना होगा तभी समाज का मार्गदर्शन संभव हो सकेगा। कहा कि भगवान परशुराम केवल ब्राम्हणों के ही नहीं अपितु समस्त मानव जाति के आराध्य नारायण हैं। इस मौके पर शशिकांत तिवारी चंदन, अभिषेक तिवारी, सुरेश तिवारी, उत्तीर्ण पांडेय, मुरारी तिवारी, अमरीश चौबे, पिकू तिवारी, आकाश पांडेय, चंदन पांडेय, राजू शर्मा आदि मौजूद थे।
राष्ट्रीय अखंडता दिवस भारत के पुनर्निर्माण :-
आज राष्ट्रीय अखंडता दिवस अर्थात 4 अक्टूबर को हम अपने उस संकल्प को फिर से दोहराते हैं जो हमारे प्रधान सम्पादक श्री सुरेश चव्हाणके जी ने सुदर्शन न्यूज के एक कॉन्क्लेव में पाकिस्तान के उच्चायुक्त अब्दुल बासित के आगे दोहराया था . उन्होंने पाकिस्तान के उच्चायुक्त अब्दुल बासित के पाकिस्तान बुलावे के जवाब में कहा था की मैं पाकिस्तान आना चाहता हूँ पर बिना वीजा के अखंड भारत के रूप में |
सभी राष्ट्रवादी ये जरूर जान लें की संसद से सड़क तक चीखते आज़ादी के नकली ठेकेदार चाहे जो भी तर्क दे लें पर किसी भी क्रांतिकारी ने अपने प्राण विखंडित भारत के लिए नहीं त्यागे थे . आज संकल्प दिवस है राष्ट्रीय अखंडता दिवस के रूप में की भारत के ही अंदर चल रही तमाम विखंडन कर्ता शक्तियों के समूल विनाश के साथ में अलख जगाते हैं पाकिस्तान के पक्ष में नारे लगाने वालों के खिलाफ और दुनिया भर में आतंक का पर्याय बने आतंक की फैक्ट्री पाकिस्तान को समूल समाप्त करने |
मिल कर संकल्प लीजिये न सिर्फ पाकिस्तान को वापस मिलाने का अपितु पाकिस्तान परस्त और पाकिस्तान समर्थक दोनों को पहचान कर उखाड़ फेंकने का और भारत को भगत , बिस्मिल मंगल पांडेय सुभाष चंद्रशेखर के सपनो का भारत बनाने का जिसमे जिन्ना जैसे आतताइयों और सत्ता के लिए भारत को बाँट देने वालों का कोई भी स्थान ना हो |
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